केंद्र सरकार ने मिशन वात्सल्य योजना में बड़ा संशोधन किया है, जिससे अब अनाथ बच्चों के साथ-साथ विधवा, परित्यकता, तलाकशुदा और सात वर्षों से पति के लापता होने की स्थिति वाले परिवारों के बच्चों को भी शामिल किया जाएगा। केंद्र सरकार द्वारा इस योजना का विस्तार किए जाने के बाद अब हिमाचल प्रदेश सरकार ने भी इसके क्रियान्वयन की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
किन्हें मिलेगा योजना का लाभ?
इस संशोधन के बाद अब निम्नलिखित श्रेणी के बच्चों को वात्सल्य योजना का लाभ मिलेगा:
✅ अनाथ बच्चे – जिनके माता-पिता दोनों नहीं हैं।
✅ विधवा महिलाओं के बच्चे – जिनकी मां विधवा हो चुकी हैं।
✅ तलाकशुदा महिलाओं के बच्चे – जिनकी मां को कानूनी रूप से तलाक मिल चुका है।
✅ परित्यक्त महिलाओं के बच्चे – जिनकी मां को पति ने छोड़ दिया है और वह अकेले बच्चों की परवरिश कर रही हैं।
✅ लंबे समय से लापता पिता वाले बच्चे – यदि किसी महिला का पति सात वर्षों से लापता है और उसका कोई पता नहीं है, तो उसके बच्चे भी इस योजना के दायरे में आएंगे।
क्या होगा लाभ?
संशोधित योजना के तहत पात्र बच्चों को आर्थिक सहायता दी जाएगी:
📌 प्रत्येक पात्र बच्चे को प्रति माह ₹4000 की आर्थिक सहायता मिलेगी।
📌 यह सहायता शून्य से 18 वर्ष तक के बच्चों को दी जाएगी।
📌 यह राशि सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में भेजी जाएगी।
📌 योजना के तहत बच्चों को शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण से संबंधित अतिरिक्त सुविधाएं भी मिलेंगी।
कैसे करें आवेदन?
महिला एवं बाल विकास विभाग ने योजना के क्रियान्वयन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके तहत:
🔹 पात्र बच्चों की सूची तैयार कर केंद्र सरकार के पोर्टल पर अपलोड किया जा रहा है।
🔹 इच्छुक लाभार्थी आंगनवाड़ी केंद्रों या जिला महिला एवं बाल विकास कार्यालय में आवेदन कर सकते हैं।
🔹 आवेदन के लिए आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, माता-पिता का विवरण और आय प्रमाण पत्र आवश्यक होगा।
🔹 तलाकशुदा महिलाओं को तलाक के कानूनी दस्तावेज और विधवा महिलाओं को पति के मृत्यु प्रमाण पत्र जमा करना होगा।
योजना का प्रभाव
वात्सल्य योजना में इस बदलाव से हिमाचल प्रदेश में हजारों बच्चों को आर्थिक सुरक्षा मिलेगी। कई महिलाएं जो अकेले अपने बच्चों का पालन-पोषण कर रही थीं, उन्हें अब सरकार की तरफ से वित्तीय सहायता मिलेगी। इससे बच्चों को बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं प्राप्त होंगी और वे समाज की मुख्यधारा में आसानी से शामिल हो सकेंगे।
महिला एवं बाल विकास विभाग के एक अधिकारी ने बताया, “इस संशोधन से अब हजारों जरूरतमंद बच्चों को मदद मिलेगी। पहले केवल अनाथ बच्चों को लाभ दिया जाता था, लेकिन अब उन बच्चों को भी सहायता मिलेगी जिनके पिता नहीं हैं या उनकी मां अकेले जीवन यापन कर रही हैं।”
कैसे बढ़ेगी योजना की पहुंच?
सरकार ने इस योजना की जानकारी को अधिकतम लोगों तक पहुंचाने के लिए ग्राम पंचायतों, आंगनवाड़ी केंद्रों और सरकारी विद्यालयों के माध्यम से प्रचार-प्रसार शुरू कर दिया है। इसके अलावा, ऑनलाइन पोर्टल के जरिए भी आवेदन प्रक्रिया को सरल बनाया गया है, ताकि दूर-दराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोग भी योजना का लाभ उठा सकें।
हिमाचल प्रदेश सरकार की इस पहल से राज्य के आर्थिक रूप से कमजोर और असहाय बच्चों को एक नई दिशा मिलेगी। योजना को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए सरकार समय-समय पर इसकी समीक्षा भी करेगी।