सरकारी अधिकारी-कर्मचारी भ्रष्टाचार में जितना दिमाग लगाते हैं, उतना अगर सरकारी योजनाओं को लागू करने और समस्याओं को सुलझाने में लगाते, तो भारत कब का विकसित हो गया होता।
कई सालों से भरमौर में पानी की आपूर्ति की समस्या बनी हुई है। ऐसा नहीं है कि साल भर पानी नहीं आता, लेकिन साल में कई बार पानी की आपूर्ति बाधित हो जाती है। खासकर सर्दियों के समय में पानी की समस्या चरम पर पहुँच जाती है। सर्दियों में लोग भी थोड़ा कम पानी में गुजारा कर लेते हैं, क्योंकि ठंड के कारण पानी की दिक्कतें पैदा होने की आशंका रहती है। लेकिन अगर पानी की आपूर्ति कई दिनों तक पूरी तरह से बाधित हो जाए, तो यह समझ से बाहर है।
भरमौर के एक निवासी ने पिछले 10 सालों में बार-बार पानी की समस्या को लेकर हर वर्ष एक ही शिकायत की लेकिन हर वर्ष वही समस्या उत्पन्न हो जाती है। इस दौरान कई नेता और अधिकारी बदले, करोड़ों रुपये खर्च हुए, लेकिन पानी की समस्या वैसी की वैसी ही बनी हुई है।
मणिमहेश यात्रा के दौरान और सर्दियों में पानी की वही समस्या
पिछले 10 सालों से हर वर्ष मणिमहेश यात्रा के दौरान और सर्दियों के समय पानी की समस्या बार-बार आती है। स्थानीय लोग बताते हैं कि अगर अत्यधिक ठंड के कारण 1-2 दिन के लिए समस्या हो, तो वह समझ में आ सकता है। लेकिन कई-कई दिनों तक पानी की आपूर्ति बाधित रहना, और उस पर कोई समाधान न होना, यह प्रशासन की असफलता और नकारात्मक सोच को दर्शाता है। ऐसा लगता है कि कर्मचारी समस्याओं का समाधान निकालने की बजाए सिर्फ अपना समय काट रहे होते हैं।
एक तरफ करोड़ों की योजनाएँ सही से लागू नहीं होती और दूसरी तरफ सरकार द्वारा करोड़ों के बजट का प्रावधान होने के बावजूद लोगों की समस्या हल करने के लिए योजनाएं बनती ही नहीं। इस वर्ष नवंबर 2024 मे हुई परियोजना सलाहकार समिति की त्रैमासिक बैठक के अनुसार ₹47 करोड़ 81 लाख 67 हजार के बजट मे से 38% हिस्सा ही खर्च हुआ। ऐसी कौन सी वजह है कि इतनी समस्याएं होने के बावजूद सही योजनाएं नहीं बनाई जाती और समस्याओं के स्थाई समाधान पर ध्यान नहीं दिया जाता? क्यों अधिकारी जनता को परेशान प्रताड़ित करते हैं? क्या आजादी के 77 सालों के बाद भी सरकारी अधिकारियों की मानसिकता अंग्रेजों के जमाने वाले अफसरों की तरह ही है?
स्थानीय निवासियों का कहना है कि कई बार शिकायत करने के बावजूद पानी की समस्या का कोई स्थायी समाधान नहीं हुआ और हर वर्ष वही शिकायत करनी पड़ती है। एक व्यक्ति ने कहा, “अगर कर्मचारी शिकायत के डर से भी समस्या का समाधान कर दें, तो भी काम चल सकता है। लेकिन स्थिति यह है कि कई दिनों तक शिकायत करने के बावजूद हालात वैसे के वैसे बने रहते हैं।”
जवाबदेही तय करने की जरूरत
जनता का सवाल है कि ऐसी कौन सी व्यवस्था की जाए, जिससे अधिकारियों की जवाबदेही तय हो और वे समस्याओं का स्थाई समाधान करें? ऐसी कौन सी व्यवस्था की जाए कि लोगों को एक ही समस्या के लिए बार-बार शिकायत नहीं करनी पड़े? कई जगहों पर घोटालों में अफसर पकड़े जाते हैं, लेकिन दूसरी जगह वही घोटाले जारी रहते हैं।
भरमौर के निवासियों का कहना है कि पानी जैसी बुनियादी जरूरत को पूरा करने के लिए हर साल नई योजनाएं बनाई जाती हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि या तो इन योजनाओं में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के चलते स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा या कोई योजना सही बनती ही नहीं। सवाल यह है कि जब योजनाओं पर करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं, तो जनता को इसका लाभ क्यों नहीं मिल रहा?