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महाकुंभ मेला: एक विशाल आयोजन की चुनौती

महाकुंभ मेला: एक विशाल आयोजन की चुनौती

प्रयागराज:
महाकुंभ मेला, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है, हर बार एक अभूतपूर्व आयोजन की चुनौती प्रस्तुत करता है। महाकुंभ 2025 में करीब 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है, जो रूस की आबादी से तीन गुना अधिक है। इस ऐतिहासिक आयोजन के लिए व्यवस्थाएं हर बार और अधिक भव्य और चुनौतीपूर्ण होती जा रही हैं।


1.50 लाख टेंट्स: आवास की असाधारण व्यवस्था

श्रद्धालुओं के विशाल जनसमूह को समायोजित करने के लिए प्रशासन ने इस बार मेले के मैदान में 1.50 लाख टेंट्स लगाए हैं। ये टेंट्स साधारण से लेकर लक्ज़री सुविधाओं तक में विभाजित हैं, जिसमें विदेशी पर्यटकों के लिए विशेष तंबुओं की व्यवस्था भी की गई है।

टेंट सिटी में योग, आयुर्वेद और पंचकर्म जैसी सेवाएं भी उपलब्ध हैं, जो भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाती हैं।


बिजली की आपूर्ति: 30 करोड़ रुपये की खपत

महाकुंभ 2025 में बिजली की आपूर्ति पर विशेष ध्यान दिया गया है।


स्वच्छता और स्वच्छ भारत अभियान का संगम

महाकुंभ मेला 2025 में स्वच्छता को प्राथमिकता दी गई है।


सुरक्षा: एक बड़ी प्राथमिकता

इतिहास को देखते हुए, इस बार सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है।

पिछले आयोजनों में भीड़ प्रबंधन एक बड़ी चुनौती रही है। 2013 के कुंभ मेले में भगदड़ के कारण 36 श्रद्धालुओं की मृत्यु हुई थी। इस बार प्रशासन ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कई तकनीकी और मानव संसाधनों को जोड़ा है।


विश्व का सबसे बड़ा आयोजन: महाकुंभ का संदेश

महाकुंभ मेला न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर का प्रतीक भी है।


आस्था, एकता और परंपरा का प्रतीक

महाकुंभ मेला 2025 केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह आस्था, एकता और परंपरा का उत्सव है। गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम पर डुबकी लगाते हुए श्रद्धालु न केवल अपने पापों से मुक्ति पाते हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति की गहराई और शक्ति का अनुभव करते हैं।

यह आयोजन यह भी दिखाता है कि कैसे भारत एक विशाल जनसमूह के प्रबंधन और स्वागत में अपने पारंपरिक मूल्यों और आधुनिक तकनीकों का अद्भुत उपयोग कर सकता है।

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