शिमला, 4 जनवरी 2025: हिमाचल प्रदेश के शिक्षा विभाग ने एक सख्त आदेश जारी करते हुए सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में शिक्षकों और स्टाफ द्वारा गैर-शैक्षणिक वीडियो और रील्स बनाने पर रोक लगा दी है। यह आदेश छात्रों की शिक्षा और समग्र विकास को प्राथमिकता देने के उद्देश्य से जारी किया गया है।
आदेश का मकसद
निदेशक उच्च शिक्षा विभाग, डॉ. अमरीजीत के. शर्मा द्वारा जारी इस आदेश में स्पष्ट किया गया है कि स्कूल परिसर में शिक्षकों और स्टाफ द्वारा गैर-शैक्षणिक वीडियो और सोशल मीडिया के अनावश्यक उपयोग से छात्रों का ध्यान उनकी पढ़ाई और शैक्षणिक गतिविधियों से भटकता है। विभाग ने इसे छात्रों के लिए हानिकारक बताया है, जो उनके महत्वपूर्ण विकासात्मक समय को प्रभावित कर सकता है।
शिक्षकों और स्टाफ पर विशेष निर्देश
आदेश में कहा गया है कि शिक्षकों और स्टाफ को ऐसा कोई भी कार्य करने से बचना चाहिए जो छात्रों के शैक्षणिक विकास में बाधा डाले। संस्थानों के प्रमुखों को निर्देशित किया गया है कि वे इस तरह की गतिविधियों पर सख्त निगरानी रखें।
शिक्षा विभाग ने यह भी कहा है कि स्कूल परिसरों में छात्रों और शिक्षकों को रचनात्मक गतिविधियों, जैसे कि शैक्षणिक प्रदर्शन, व्यक्तित्व विकास, और राष्ट्र निर्माण से संबंधित कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से शामिल किया जाना चाहिए। इसका उद्देश्य छात्रों को खेल, पाठ्येतर और सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों की ओर प्रेरित करना है, ताकि वे आदर्श नागरिक बन सकें।
समय और ऊर्जा के व्यर्थ उपयोग पर चिंता
आदेश में यह भी उल्लेख किया गया है कि स्कूल में गैर-शैक्षणिक वीडियो और सोशल मीडिया के अत्यधिक उपयोग से समय और ऊर्जा की बर्बादी होती है। इसे रोकने के लिए संस्थानों को विशेष कदम उठाने की आवश्यकता है।
प्रमुख अधिकारियों को सूचना
इस आदेश की प्रति सचिव (शिक्षा) को, प्रारंभिक शिक्षा निदेशक को, और अन्य संबंधित विभागों को भेजी गई है। साथ ही, इसे हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड करने के निर्देश दिए गए हैं।
यह कदम हिमाचल प्रदेश के शिक्षा विभाग द्वारा छात्रों और शिक्षकों के बीच अनुशासन और शैक्षणिक माहौल बनाए रखने की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण प्रयास है।