हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के ठियोग उपमंडल में सामने आए पेयजल आपूर्ति घोटाले के मामले में जल शक्ति विभाग के 10 अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। इनमें दो अधिशासी अभियंता, तीन सहायक अभियंता, चार कनिष्ठ अभियंता और एक सेवानिवृत्त कनिष्ठ अभियंता शामिल हैं। यह मामला तब उजागर हुआ जब टैंकरों से पानी की आपूर्ति के नाम पर बड़े पैमाने पर धांधली की गई। इस घोटाले में ठेकेदारों द्वारा मोटरसाइकिल और कार जैसे वाहनों के जरिए पानी की आपूर्ति दर्शाई गई थी।
सरकार की त्वरित कार्रवाई
प्रदेश सरकार ने घोटाले को गंभीरता से लेते हुए सभी दोषी अधिकारियों को जल शक्ति विभाग मुख्यालय में अटैच कर दिया है। साथ ही, इनसे जुड़े ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने शुक्रवार को इस मामले में उच्चस्तरीय बैठक बुलाई और अधिकारियों को निलंबित करने के आदेश जारी किए। उन्होंने कहा, “यह मामला विभाग की लापरवाही का गंभीर उदाहरण है। जांच जारी है और दोषियों को कड़ी सजा दी जाएगी।”
निलंबित अधिकारियों की सूची
जिन अधिकारियों को निलंबित किया गया है, उनमें शामिल हैं:
- अशोक कुमार भोपाल (अधिशासी अभियंता, मतियाना मंडल)
- बसंत सिंह (अधिशासी अभियंता, कसुम्पटी मंडल)
- प्रणीत ठाकुर (सहायक अभियंता, मतियाना मंडल)
- राकेश कुमार (सहायक अभियंता, कोटी उपमंडल)
- विकेश शर्मा (सहायक अभियंता, ठियोग मंडल)
- मस्त राम ब्राक्टा (कनिष्ठ अभियंता, ठियोग मंडल)
- सुरेश कुमार (कनिष्ठ अभियंता, लाफूघाटी उपमंडल)
- नीम चंद (कनिष्ठ अभियंता, मतियाना मंडल)
- सुनील कुमार (कनिष्ठ अभियंता, धरेच ठियोग मंडल)
- सुदर्शन (सेवानिवृत्त कनिष्ठ अभियंता)
इनमें से एक अधिकारी की मृत्यु हो चुकी है, लेकिन उनका नाम भी निलंबन सूची में शामिल है।
घोटाले का विवरण
पिछले साल गर्मियों में शिमला जिले में टैंकरों के माध्यम से पानी की आपूर्ति के नाम पर घोटाला हुआ। टैंकरों के लिए एक करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया था। जांच में पाया गया कि जिन टैंकरों के नंबर दिए गए थे, उनमें कई मोटरसाइकिल, कार, और यहां तक कि एक अधिकारी की सरकारी गाड़ी शामिल थी।
इसके अलावा, दो ऐसे गांवों में भी पानी की आपूर्ति दर्शाई गई, जहां सड़कें ही नहीं हैं। यह घोटाला अमर उजाला की 2 जनवरी की रिपोर्ट के बाद सुर्खियों में आया।
जांच जारी, और होंगे खुलासे
जल शक्ति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को मामले की विस्तृत जांच के आदेश दिए गए हैं। यह भी पता लगाया जा रहा है कि इस घोटाले में और कौन-कौन शामिल हो सकता है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, आने वाले दिनों में और नाम सामने आ सकते हैं।
लंबे समय से हो रही थी शिकायतें
स्थानीय लोगों ने टैंकरों से पानी की आपूर्ति में गड़बड़ी की शिकायतें पहले भी की थीं, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब जब घोटाला उजागर हुआ है, तो सरकार ने अपनी सख्ती दिखाते हुए त्वरित कदम उठाए हैं।