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हिमाचल प्रदेश: करुणामूलक आधार पर नौकरियों के लिए बनेगी नई नीति, विधवाओं और अनाथों को मिलेगी प्राथमिकता

शिमला: हिमाचल प्रदेश सरकार ने करुणामूलक आधार पर लंबित मामलों को सुलझाने और रोजगार प्रदान करने के लिए नई नीति तैयार करने का फैसला लिया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मंगलवार को उच्चस्तरीय बैठक में इस पर चर्चा करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए कि 10 जनवरी, 2025 तक सभी आवेदकों का विवरण और उनकी शैक्षणिक योग्यता के अनुसार डेटा तैयार कर प्रस्तुत किया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार विधवाओं और अनाथों को नौकरियों में प्राथमिकता देकर उनके कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। इसके अलावा करुणामूलक आधार पर रोजगार की प्रक्रिया को सरल और समयबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।

सालाना आय सीमा में हो सकता है संशोधन

मुख्यमंत्री ने बताया कि करुणामूलक आधार पर नौकरियों के लिए तय की गई वर्तमान आय सीमा ₹62,500 को बढ़ाकर ₹2,50,000 तक किया जा सकता है। इस फैसले से अधिक आवेदक योग्य हो सकेंगे। साथ ही, विधवाओं और अनाथों को सरकारी नौकरी के लिए छूट देने के नियमों में भी बदलाव किया जाएगा।

लंबित 3234 मामलों का जल्द समाधान

वर्तमान में राज्य में करुणामूलक आधार पर नियुक्तियों के 3234 मामले लंबित हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन सभी मामलों का एक बार में निपटारा किया जाएगा ताकि नौकरी का इंतजार कर रहे परिवारों को राहत मिल सके। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि करुणामूलक आधार पर रोजगार के लिए व्यापक नीति तैयार की जाए।

विशेष समिति का गठन

सरकार ने इस विषय पर गहराई से अध्ययन करने के लिए शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर की अध्यक्षता में एक मंत्रिमंडलीय उपसमिति का गठन किया है। इस समिति में तकनीकी शिक्षा मंत्री राकेश धर्मानी और आयुष मंत्री यादविंद्र गोमा सदस्य होंगे। यह समिति करुणामूलक आधार पर नियुक्तियों से जुड़े सभी पहलुओं का अध्ययन कर अपनी सिफारिशें देगी।

मुख्यमंत्री का संवेदनशील दृष्टिकोण

मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि सरकार उन परिवारों के प्रति संवेदनशील है जिन्होंने सरकारी सेवा के दौरान अपने सदस्य खो दिए। राज्य सरकार का उद्देश्य है कि ऐसे परिवारों को राहत देते हुए उन्हें स्थायी समाधान प्रदान किया जाए।

आवेदन प्रक्रिया होगी पारदर्शी

अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि सभी आवेदकों का डेटा पारदर्शी तरीके से तैयार किया जाए और 10 जनवरी की बैठक में इसे प्रस्तुत किया जाए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि सभी पात्र आवेदकों को समान अवसर मिले।

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