शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में राज्य पर्यटन विकास निगम (एचपीटीडीसी) के 18 घाटे में चल रहे होटलों को तुरंत प्रभाव से बंद करने के आदेश दिए हैं। यह आदेश न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की अदालत ने जारी किया। कोर्ट ने इन होटलों को “सफेद हाथी” करार देते हुए कहा कि इनका संचालन राज्य के खजाने पर भारी बोझ डाल रहा है।
घाटे में चलने वाले होटलों की सूची
बंद होने वाले होटलों में शामिल हैं:
- द पैलेस होटल, चायल
- होटल गीतांजलि, डलहौजी
- होटल बाघल, दाड़लाघाट
- होटल धौलाधार, धर्मशाला
- होटल कुणाल, धर्मशाला
- होटल कश्मीर हाउस, धर्मशाला
- होटल एप्पल ब्लॉसम, फागू
- होटल चंद्रभागा, केलांग
- होटल देवदार, खजियार
- होटल गिरीगंगा, खड़ापत्थर
- होटल मेघदूत, क्यारीघाट
- होटल सरवरी, कुल्लू
- होटल लॉग हट्स, मनाली
- होटल हडिम्बा कॉटेज, मनाली
- होटल कुंजुम, मनाली
- होटल भागसू, मैक्लोडगंज
- होटल द कैसल, नग्गर
- होटल शिवालिक, परवाणू
आदेश का उद्देश्य
कोर्ट ने कहा कि इन होटलों के संचालन में हो रहे भारी खर्च से राज्य का खजाना प्रभावित हो रहा है। यह फैसला संसाधनों की बर्बादी को रोकने और वित्तीय संकट से उबरने के लिए लिया गया है।
कर्मचारियों के मुद्दे पर भी निर्देश
यह आदेश एचपीटीडीसी के सेवानिवृत्त कर्मचारियों को वित्तीय लाभ न मिलने से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान जारी किया गया। हाईकोर्ट ने प्रबंध निदेशक को निर्देश दिया है कि वे इन होटलों को बंद करने के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करें और शपथ पत्र के जरिए इसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें।
एचपीटीडीसी पर सवाल
कोर्ट ने यह भी कहा कि एचपीटीडीसी अपनी संपत्तियों का लाभकारी संचालन करने में विफल रहा है। घाटे में चलने वाले होटलों का संचालन जारी रखना राज्य के लिए आर्थिक दृष्टि से सही नहीं है।
स्थानीय अर्थव्यवस्था पर असर
इन होटलों के बंद होने से स्थानीय समुदाय और पर्यटन उद्योग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। राज्य सरकार को इन संपत्तियों के पुनः उपयोग के लिए निजीकरण या पीपीपी मॉडल जैसे विकल्पों पर विचार करना होगा।
यह फैसला राज्य की आर्थिक स्थिति को सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।