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धर्मशाला: देहरा स्टोर से 1 करोड़ का राशन गायब, स्टोर इंचार्ज के खिलाफ मामला दर्ज

धर्मशाला में स्टेट विजीलेंस और एंटी करप्शन ब्यूरो नोर्थ रेंज द्वारा हिमाचल प्रदेश राज्य खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के कांगड़ा के देहरा स्टोर से करीब 1 करोड़ रुपये मूल्य का 1500 क्विंटल राशन गायब होने के मामले में स्टोर इंचार्ज संजीव कुमार के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। विजीलेंस की जांच में सिविल सप्लाई के इस स्टोर इंचार्ज की बड़ी गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। आरोपी पर आईपीसी की धाराओं 409, 420, 465, 468, 471 के साथ आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धाराओं के तहत विजीलेंस थाना धर्मशाला में मामला दर्ज कर लिया गया है।

राशन गायब करने की अनोखी साजिश

आरोपी स्टोर इंचार्ज संजीव कुमार पर आरोप है कि उन्होंने देहरा के विभिन्न क्षेत्रों में डिपो के माध्यम से वितरित होने वाले सस्ते सब्सिडी वाले राशन की सप्लाई में हेराफेरी कर एक बड़ी धोखाधड़ी को अंजाम दिया। जांच में पता चला कि राशन की गोदाम में एंट्री दर्ज थी और सभी पर्चियां भी काटी गई थीं, लेकिन यह राशन डिपो में उचित मूल्य की दुकानों तक नहीं पहुंचा। इससे सार्वजनिक वितरण प्रणाली में बड़ी अनियमितता उजागर हुई है।

विजीलेंस द्वारा की गई कार्रवाई

एसपी विजीलेंस, धर्मशाला के बलबीर सिंह ने बताया कि जांच में आरोपी के खिलाफ लगे आरोप सही पाए गए हैं। इस आधार पर आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर अब हर पहलू की कड़ी छानबीन की जा रही है। मामले का पता चलते ही विभाग ने आरोपी संजीव कुमार को निलंबित कर दिया था और अब यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं कि मामले की निष्पक्षता और जांच की प्रक्रिया को तेज किया जाए।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली में हेरफेर का मामला

इस मामले ने हिमाचल प्रदेश की सार्वजनिक वितरण प्रणाली की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े किए हैं। गायब किए गए राशन में प्रतिमाह उचित मूल्य की दुकानों पर मिलने वाले दाल, आटा, गेंहू, चावल और चीनी शामिल हैं, जो सरकार द्वारा गरीबों और निम्न-आय वर्ग के लोगों को सब्सिडी पर प्रदान किया जाता है। ऐसे में इस प्रकार की हेरफेर से गरीबों का हक छीना गया है, जो कि एक गंभीर अपराध है।

आरोपी पर लगे गंभीर आरोप और उनकी जांच

आरोपी के खिलाफ दर्ज धाराएं आईपीसी की धारा 409 (आपराधिक विश्वासघात), 420 (धोखाधड़ी), 465 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), और 471 (जाली दस्तावेज का इस्तेमाल) हैं। इसके अलावा आवश्यक वस्तु अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है, जो यह दर्शाता है कि आरोपी ने अनिवार्य वस्तुओं की हेराफेरी कर नियमों का उल्लंघन किया है।

इस मामले में विजीलेंस विभाग ने अब आरोपी की संपत्ति और वित्तीय लेन-देन की भी जांच शुरू कर दी है ताकि यह पता चल सके कि आरोपी ने इस राशन की बिक्री से कोई अन्य लाभ तो नहीं कमाया है।

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