हिमाचल प्रदेश सरकार ने हाल ही में दीपावली के मौके पर कर्मचारियों और पेंशनरों को खुश करने के लिए विशेष वेतन और पेंशन का अग्रिम भुगतान किया। त्योहारी सीजन को देखते हुए सरकार ने 28 अक्तूबर को ही वेतन और पेंशन का भुगतान कर दिया था। इस निर्णय से कर्मचारियों और पेंशनर्स को तो सुविधा मिली, लेकिन इसके चलते नवंबर माह के वेतन और पेंशन की व्यवस्था के लिए सरकार को अब वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है।
राज्य सरकार ने अब इस संकट का समाधान करने के लिए 500 करोड़ रुपये का लोन उठाने का फैसला लिया है। इसके लिए हिमाचल सरकार को रिजर्व बैंक से अनुमति मिल चुकी है और लोन की व्यवस्था खुली बोली के माध्यम से की जाएगी। सरकार के इस फैसले से भले ही कर्मचारियों का वेतन समय पर मिल सकेगा, लेकिन वित्तीय संसाधनों की कमी की चुनौती सरकार के सामने बनी रहेगी।
सरकार के बजट पर बढ़ रहा है वित्तीय दबाव
हिमाचल प्रदेश सरकार के बजट पर अतिरिक्त वित्तीय दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। वेतन और पेंशन के खर्च के लिए सरकार को हर महीने 2000 करोड़ रुपये की आवश्यकता होती है। इसके बावजूद राज्य सरकार के पास दिसंबर 2024 तक ही केवल 500 करोड़ रुपये का लोन लिमिट बची है, जो आने वाले समय में गंभीर वित्तीय समस्याएं खड़ी कर सकता है।
वित्तीय विशेषज्ञों के अनुसार, अगले वित्त वर्ष में केंद्र सरकार से मिलने वाली रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट में भी कटौती की संभावना है, जिससे हिमाचल के बजट पर अतिरिक्त दबाव और बढ़ सकता है। रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट की कमी के कारण राज्य सरकार को अपने संसाधनों से ही बजट की व्यवस्था करनी होगी, जो कि वर्तमान में आर्थिक संकट में घिरी हुई है।
वित्तीय संकट से निपटने के लिए सरकार के विकल्प
वर्तमान वित्तीय संकट से उबरने के लिए हिमाचल सरकार ने कर्मचारियों के वेतन और पेंशन के भुगतान शेड्यूल को अलग-अलग कर दिया है, जिससे एडवांस लोन लेने पर ब्याज का खर्च बच सके। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह के कदम से भले ही अल्पकालिक राहत मिल सकती है, लेकिन दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता है।
इसके अलावा राज्य सरकार विभिन्न विकास परियोजनाओं पर खर्च की पुनर्समीक्षा कर रही है ताकि अनावश्यक खर्च को कम किया जा सके। सरकार अब आवश्यकता आधारित विकास कार्यों पर ही ध्यान केंद्रित कर रही है, जिससे अतिरिक्त वित्तीय बोझ को कम किया जा सके।
वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि हिमाचल सरकार को अपनी आय के नए साधनों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। राज्य में पर्यटन, जलविद्युत और कृषि जैसे क्षेत्रों से राजस्व को बढ़ाने के लिए दीर्घकालिक योजनाओं की जरूरत है। इससे हिमाचल प्रदेश अपनी आय के स्रोतों को मजबूत कर सकता है और वेतन और पेंशन के भुगतान में वित्तीय संकट का सामना करने से बच सकता है।