प्रधानमंत्री ने भारत को स्वच्छ बनाने के लिए खूब पसीना बहाया व धन खर्च किया है.स्वच्छ भारत मिशन पर जब रिपोर्ट कार्ड मांगा गया तो अधिकारियों ने भी धरातलीय स्थिति को नजरअदाज करते हुए कागजों में सम्पूर्ण स्वच्छता के प्रमाण पत्र पंचायतों,विकास खंडों,जिलों के साथ-साथ प्रदेश को भी दे दिए.ताकि प्रधानमंत्री को लगे कि उनके अभियान को उन्होंने सफल बना दिया है.
लेकिन सच्चाई इसके बिलकुल विपरीत दिखती है.भरमाणी माता जैसे विख्यात धार्मिक स्थल हों या फिर हैलिपैड,अस्पताल,महाविद्यालय के आसपास के सार्वजनिक स्थल जहां लोगों की आवाजाही अधिक रहती है,यहां निर्मित शौचालयों की दशा बेहद खराब है.भरमौर भरमाणी पैदल मार्ग पर बहती सीवरेज की गंदगी हर रोज यात्रियों व स्थानीय लोगों के लिए समस्या खड़ी कर देती है.मुख्यालय के मुख्य स्थानों पर फैली यह गंदगी सम्पूर्ण स्वच्छ भारत अभियान के दावों पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करती है.
भरमौर हैलिपैड के पास बने शौचालय गंदगी से अटे पड़े हैं.जिनकी सफाई ही नहीं हो रही है.प्रशासन का कहना है कि विकास खंड भरमौर के तहत बनवाए गए इन शौचालयों के रखरखाव की जिम्मेदारी सबंधित पंचायत को सौंपी गई है.अस्पताल के शौचालयों में सफाई दिन में मात्र सुबह होती है.दोपहर होते होते अस्पताल के शौचालय भी गंदगी से भर जाते हैं जिस कारण मरीजों और तीमारदारों का शौचालय उपयोग करना मुश्किल हो जाता है.वहीं भरमौर भरमाणी पैदल मार्ग पर आए दिन खराब रहने वाली सीवरेज लाईन से फिर से गंदगी मार्ग पर फैलने लगी है पिछले तीन दिनों से इसकी मुरम्मत के लिए सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग ने कोई कदम नहीं उठाया है.
इस मामले में जब सिचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग के सहायक अभियंता शरती राम शर्मा ने कहा कि सीवरेज लाईन को दरुस्त करने के लिए सुबह कर्मचारियों को भेज दिया जाएगा.उन्होंने कहा कि हैलिपैड के पास बने शौचालयों के देखरेख की जिम्मेदारी उनके विभाग के पास न होकर पंचायत के पास है.
लोगों का कहना है गंदगी की समस्या का सामना तो करना पड़ ही रहा है जिम्मेदारी चाहे किसी की भी हो.लोगों ने सरकार से मांग की है कि जब साफ सफाई के पूरे पैसे खर्च किए जा रहे हैं तो सफाई भी पूरी करवाई जाए.