कांगड़ा: उतराला-होली सड़क चिंतन समिति के सदस्य अधिवक्ता राज कपूर ने उतराला-होली सुरंग की मांग करने वालों के खिलाफ सख्त विरोध जताया है। उनका कहना है कि 1998 में जब हिमाचल प्रदेश में प्रेम कुमार धूमल की सरकार थी, उस समय विधायक दुलो राम ने भी सुरंग के निर्माण का मुद्दा उठाया था। उस वक्त सुरंग की अनुमानित लागत लगभग 1500 करोड़ रुपये थी, लेकिन बजट की कमी के कारण इस परियोजना को ड्रॉप कर दिया गया था। इसके बजाय सतह सड़क (सर्फेस रोड) बनाने का प्रस्ताव तैयार किया गया था।
राज कपूर का कहना है कि अब तक कुछ करोड़ रुपये की लागत से इस सड़क का निर्माण काफी हद तक पूरा हो चुका है। उनके अनुसार, अगर 20-30 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि मिल जाए, तो यह सड़क पूरी तरह से तैयार हो जाएगी और लोगों को लाभ पहुंचा सकेगी। ऐसे में अरबों रुपये की लागत वाली सुरंग की मांग तर्कसंगत नहीं है।
धूमल सरकार के समय सुरंग प्रस्ताव की स्थिति
राज कपूर ने आगे बताया कि धूमल सरकार के समय इस सुरंग परियोजना को लेकर व्यापक चर्चा हुई थी, लेकिन वित्तीय अभाव के कारण इसे रोकना पड़ा। सुरंग के स्थान पर एक वैकल्पिक सड़क बनाने का निर्णय लिया गया, जो अब तक काफी हद तक पूरा हो चुका है। उनका कहना है कि इस सड़क के निर्माण पर पहले ही करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हैं और अब सड़क को पूरा करने के लिए सिर्फ 20-30 करोड़ रुपये की जरूरत है।
सुरंग की मांग क्यों तर्कहीन?
अधिवक्ता राज कपूर ने स्पष्ट किया कि उतराला-होली सुरंग की मांग वित्तीय दृष्टिकोण से तर्कसंगत नहीं है। उनके अनुसार, सुरंग निर्माण पर अरबों रुपये खर्च होंगे, जो हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य के लिए अत्यधिक भारी है। दूसरी ओर, वर्तमान सड़क परियोजना को पूरा करने के लिए केवल 20-30 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आवश्यकता है, जिससे क्षेत्र के लोग जल्द ही इस सड़क का लाभ उठा सकेंगे।
उन्होंने बताया कि सुरंग का प्रस्ताव 1998 में भी उठा था, लेकिन उसकी अत्यधिक लागत के चलते इसे रद्द करना पड़ा। यही कारण है कि पिछले 35 वर्षों से इस सड़क के निर्माण के लिए संघर्ष करने के बावजूद सुरंग का प्रस्ताव कभी सफल नहीं हो पाया। राज कपूर ने सवाल उठाया कि जब सड़क निर्माण पर थोड़े से निवेश की ही जरूरत है और इससे जल्दी फायदा मिल सकता है, तो अरबों की लागत वाली सुरंग क्यों बनाई जाए? साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि इस सुरंग के निर्माण में तकनीकी और भौगोलिक चुनौतियां भी बड़ी बाधाएं हैं, जिनका समाधान इतना सरल नहीं है।
सड़क परियोजना के फायदे
राज कपूर के अनुसार, सड़क निर्माण से क्षेत्र के निवासियों को बेहतर परिवहन सुविधा मिलेगी और यह कनेक्टिविटी को भी मजबूत करेगा। सड़क के माध्यम से क्षेत्र के आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। उनका मानना है कि सुरंग की तुलना में सतह सड़क परियोजना अधिक लाभकारी और व्यवहारिक है।
इस बीच, उतराला-होली सड़क परियोजना पर सरकार द्वारा पहले ही करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हैं और इसे पूरा करने के लिए अब ज्यादा निवेश की जरूरत नहीं है। अधिवक्ता राज कपूर के इस बयान ने सुरंग की मांग करने वालों के खिलाफ एक नई बहस छेड़ दी है, और अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है।