हिमाचल प्रदेश में बनी दवाओं के 19 सैंपल फेल होने की खबर से दवा उद्योग में हड़कंप मच गया है। केन्द्रीय दवा नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने इस पर चिंता जताते हुए अलर्ट जारी किया है। कुल 39 फेल हुए सैंपल्स में से हिमाचल की दवाओं की संख्या करीब आधी है। इस मामले ने राज्य की फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
कौन-कौन सी दवाएं हुई फेल?
हिमाचल की बीपी, हार्ट, एलर्जी, पेट व एंटीबायोटिक सहित कई दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं। इनमें प्रमुख रूप से स्कॉट एडिल फार्मास्यूटिकल, डैक्सिन फार्मास्यूटिकल प्राइवेट लिमिटेड, विंग्ज बायोटैक एलएलपी, ब्रोड इंजैक्टेबल्ज, नवकार लाइफ साइंस, पेस बायोटैक, बायोअल्टस फार्मास्यूटिकल, हीलर्ज लैब, वीवीपीबी फार्मास्यूटिकल, जी लैबोरेटरीज, ग्लफा लैबारेटरीज, अलाइंस बायोटैक, फार्मा रूट्स हैल्थकेयर, कैपटैब बायोटैक और इंटीग्रेटिड लैबाेरेटरीज के नाम शामिल हैं।
सीडीएससीओ का अलर्ट
सीडीएससीओ के अनुसार, स्कॉट एडिल फार्मास्यूटिकल के मेटोप्रोलाल सक्सिनेट एक्सटैंडिड रिलीज (बैच नम्बर जीटी 3जे026), डैक्सिन फार्मास्यूटिकल प्राइवेट लिमिटेड की सैंफ्येरोएक्सिम एक्सटिल (बैच नम्बर डी.बी.230304), विंग्ज बायोटैक एलएलपी की प्रेडनिसोलोन (बैच नम्बर पीआरडीटी 1007) सहित अन्य दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं।
अन्य राज्यों की स्थिति
हिमाचल के बाद सबसे अधिक दवाओं के सैंपल उत्तराखंड के फेल हुए हैं। उत्तराखंड की दवाओं के 8 सैंपल फेल हुए हैं। इसके अलावा राजस्थान, गुजरात व मध्य प्रदेश की दवाओं के 2-2 सैंपल फेल हुए हैं। हरियाणा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक सहित अन्य राज्यों के भी एक-एक सैंपल फेल हुए हैं।
राज्य सरकार की प्रतिक्रिया
स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल ने कहा कि जिन कंपनियों के सैंपल फेल हो रहे हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा, “हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हिमाचल प्रदेश की फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री की गुणवत्ता उच्चतम स्तर पर हो।”
राज्य की लैब में भी दवाओं के 4 सैंपल फेल
सीडीएससीओ की लैब में जहां प्रदेश की 19 दवाओं के सैंपल फेल हुए, वहीं ड्रग विभाग की लैब में भी 4 दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं। इस तरह से प्रदेश में बनी कुल दवाओं के 23 सैंपल फेल हुए हैं। इन चार दवाओं के बैच नम्बर को लेकर भी सीडीएससीओ ने ड्रग अलर्ट जारी किया है।
यह स्थिति हिमाचल प्रदेश की दवा निर्माण इकाइयों के लिए एक गंभीर चेतावनी है। इस घटना ने दवा निर्माताओं को अपनी गुणवत्ता को सुधारने की आवश्यकता पर बल दिया है। उम्मीद की जा रही है कि सरकार और संबंधित एजेंसियां इस मामले पर सख्त कदम उठाएंगी ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं न हों।