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गर्मी की लू से जूझते भारत में भरमौर बना शीतल स्वर्ग, तापमान मात्र 20 डिग्री सेल्सियस

भारत के अधिकांश हिस्सों में जहां गर्मियों की लू चल रही है और तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच चुका है, वहीं हिमाचल प्रदेश के भरमौर में मौसम का अद्भुत नजारा है। भरमौर, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, मंदिरों और झरनों के लिए प्रसिद्ध है, इस समय देश के अन्य हिस्सों की तुलना में एक सुखद ठंडक का अनुभव कर रहा है। यहां का तापमान मात्र 20 डिग्री सेल्सियस है, जो इसे एक आदर्श ग्रीष्मकालीन स्थल बनाता है।

भरमौर एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है, जो अपने मंदिरों और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ के प्रमुख स्थल निम्नलिखित हैं:

1. 84 मंदिर

भरमौर में स्थित यह मंदिर समूह धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व रखता है। यहाँ के हर मंदिर की अपनी विशेषता है और यहाँ पर्यटक धार्मिक यात्रा पर आते हैं। चौरासी मंदिर समूह के नाम से प्रसिद्ध, यह स्थल भरमौर की धार्मिक पहचान का प्रतीक है। इस परिसर में विभिन्न देवी-देवताओं को समर्पित 84 मंदिर हैं, जिनमें प्रमुख है मणिमहेश मंदिर, जो भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर की स्थापत्य कला और यहां की शांतिपूर्ण वातावरण धार्मिक श्रद्धालुओं और इतिहास प्रेमियों को आकर्षित करती है।

2. भरमानी माता मंदिर

यह मंदिर भरमौर का प्रमुख धार्मिक स्थल है। यहाँ देवी भरमानी माता की पूजा-अर्चना की जाती है। भरमानी माता मंदिर चौरासी मंदिर से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । इस मंदिर के प्रांगण से भरमौर की सुंदर घाटियों का विहंगम दृश्य देखने को मिलता है, जो हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देता है।

3. घरेड जलप्रपात, थला जलप्रपात, हडसर जलप्रपात

भरमौर के ये जलप्रपात अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध हैं। घरेड जलप्रपात, थला जलप्रपात, और हडसर जलप्रपात उन लोगों के लिए आदर्श स्थल हैं जो प्रकृति की गोद में शांति और सुकून का अनुभव करना चाहते हैं। इन जलप्रपातों के आसपास का हरा-भरा वातावरण और ठंडी हवाएं पर्यटकों को आनंदित कर देती हैं। यहाँ पिकनिक मनाने का आनंद ही अलग होता है।

4. काकसेन -भागसेन जलप्रपात

काकसेन -भागसेन जलप्रपात भी एक प्रमुख आकर्षण है। यहाँ का वातावरण बहुत ही शांतिपूर्ण है। ऐसा माना जाता है कि भागसेन जलप्रपात का जल पापों का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि काकसेन जलप्रपात का जल पुण्य का प्रतिनिधित्व करता है। कहा जाता है कि वर्तमान युग, जिसे कलियुग कहा जाता है, में पापों की वृद्धि हो गई है, इसलिए भागसेन जलप्रपात में अधिक पानी है। वहीं सत्युग के समय में काकसेन जलप्रपात में अधिक पानी होता था, जो उस समय की पुण्य की प्रचुरता को दर्शाता था।

5. कुगती वन्यजीव अभयारण्य, तुंदाह वन्यजीव अभयारण्य

कुगती वन्यजीव अभयारण्य और तुंदाह वन्यजीव अभयारण्य वन्यजीव प्रेमियों के लिए अद्वितीय स्थान हैं। कुगती वन्यजीव अभयारण्य भरमौर से लगभग 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह अभयारण्य हिमालयी वन्यजीवों की कई प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें हिमालयी काला भालू, कस्तूरी मृग और हिम तेंदुआ शामिल हैं। यह अभयारण्य पर्यटकों को प्रकृति की अद्भुत सुंदरता और वन्यजीवों के करीब आने का मौका प्रदान करता है।

तुंदाह वन्यजीव अभयारण्य अपनी बर्फीले दृश्य और अद्वितीय जैवविविधता के लिए जाना जाता है। यह अभयारण्य लगभग 64 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और यहाँ की वनस्पतियाँ और जीव-जंतु पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। यहाँ की हरी-भरी वादियाँ और ठंडी हवाएं हर किसी का मन मोह लेती हैं।

6. बन्नी माता मंदिर, बडग्राम , स्वामी कार्तिकेय मंदिर, कुगति

बन्नी माता मंदिर और स्वामी कार्तिकेय मंदिर धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखते हैं। बन्नी माता मंदिर भरमौर से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और यह माता दुर्गा का एक प्रमुख मंदिर है। यहाँ श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए आते हैं।

स्वामी कार्तिकेय मंदिर, कुगति भगवान कार्तिकेय को समर्पित है और यहाँ की धार्मिकता और शांति हर किसी को आकर्षित करती है।

7. शिवशक्ति मंदिर, छतराडी

शिवशक्ति देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश के छतराड़ी गांव में स्थित है, जो भरमौर से 33 किलोमीटर की दूरी पर है। यह मंदिर समुद्र तल से 6,000 फीट (लगभग 1,800 मीटर) की ऊँचाई पर स्थित है और इसका निर्माण 650 ईस्वी में राजा मेरू वर्मन ने अपनी मन्नत पूरी होने पर करवाया था।

मंदिर का मुख्य मूर्ति शिवशक्ति देवी की है, जो 4 फीट 6 इंच ऊंची बारीक पीतल की मूर्ति है। इस मूर्ति में शक्ति अपने हाथों में एक भाला (शक्ति, ऊर्जा), एक कमल (जीवन), एक घंटी (आकाश, अंतरिक्ष) और एक सांप (मृत्यु और समय) को धारण करती हैं। इसके अलावा, मंदिर में लगभग तीस अन्य छोटे मूर्तियाँ भी हैं, जिनमें अन्नपूर्णा जैसे कुलदेवता शामिल हैं। इनमें से कुछ मूर्तियाँ दक्षिण भारत या ओडिशा राज्य से लाई गई मानी जाती हैं।

8. कुगती गांव, ग्रीमा गांव व्यू पॉइंट्स

कुगती गांव और ग्रीमा गांव व्यू पॉइंट्स अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध हैं। कुगती गांव, कुगती वन्यजीव अभयारण्य मे स्थित है और यह गांव हिमाचल प्रदेश की परंपरागत संस्कृति और जीवनशैली का प्रतीक है। यहाँ का शांतिपूर्ण वातावरण पर्यटकों को आकर्षित करता है।

ग्रीमा गांव दृश्य बिंदु से पूरे भरमौर की घाटियों का अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है, जो पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है।

9. घराड़ू वन विश्राम गृह, घराड़ू इको पार्क

घराड़ू वन विश्राम गृह और घराड़ू इको पार्क प्रकृति प्रेमियों के लिए आदर्श स्थान हैं। घरारू वन विश्राम गृह पर्यटकों को आरामदायक और सुरक्षित ठहराव का अनुभव कराता है। यहाँ पर्यटक प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले सकते हैं और अपने जीवन की भागदौड़ से कुछ समय के लिए दूर हो सकते हैं। घरारू इको पार्क एक पर्यावरणीय संरक्षण स्थल है, जहाँ पर्यटक प्रकृति के साथ घुलने-मिलने का अनुभव कर सकते हैं।

10. कुगती पास, चोबिया पास

कुगती पास और चोबिया पास ट्रेकिंग के लिए प्रसिद्ध हैं। कुगती पास हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के बीच एक प्रमुख पास है, जो लगभग 5,020 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह पास ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए एक चुनौतीपूर्ण और रोमांचक अनुभव प्रदान करता है। चोबिया पास भी एक लोकप्रिय ट्रेकिंग मार्ग है, जो भरमौर से शुरू होकर लाहौल और स्पीति जिलों तक जाता है। यहाँ से हिमालय का अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है, जो ट्रेकर्स के लिए एक यादगार अनुभव बनाता है।

11. मणिमहेश झील

मणिमहेश झील भगवान शिव के निवास स्थान के रूप में मानी जाती है और यहाँ हर साल भव्य यात्रा का आयोजन होता है। मणिमहेश झील भरमौर से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और यह झील हिमाचल प्रदेश की सबसे पवित्र झीलों में से एक है। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता मनमोहक है और यह स्थल धार्मिक श्रद्धालुओं के साथ-साथ प्रकृति प्रेमियों को भी आकर्षित करता है। यहाँ हर साल अगस्त-सितंबर में मणिमहेश यात्रा का आयोजन होता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं।

12. दलोटु घरारू, भीम गोडा, भरमाणी, रजौर, धणछो, कुगति, डुघी कैम्पिंग साइट्स

भरमौर में कई कैम्पिंग साइट्स भी हैं, जहाँ पर्यटक प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले सकते हैं। दलोटु घरारू, भीम गोडा, भरमाणी, रजौर, धणछो, कुगति, और डुघीI कैम्पिंग साइट्स पर्यटकों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय हैं। यहाँ के साफ-सुथरे वातावरण और हरे-भरे जंगल हर किसी का मन मोह लेते हैं। यहाँ कैम्पिंग का अनुभव पर्यटकों के लिए एक रोमांचक और यादगार अनुभव होता है।

13. लाकेवाली माता, होली

लाकेवाली माता मंदिर और होली गाँव धार्मिक और प्राकृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण स्थल हैं। लाकेवाली माता मंदिर भरमौर के निकट स्थित है और यह मंदिर माता दुर्गा का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यहाँ श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए आते हैं। होली गाँव अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांतिपूर्ण वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ पर्यटक आकर शांति और सुकून का अनुभव कर सकते हैं।

भरमौर का सौंदर्य और शीतलता इसे एक उत्तम ग्रीष्मकालीन पर्यटन स्थल बनाते हैं। यहां का 20 डिग्री सेल्सियस तापमान और चारों ओर फैली प्राकृतिक सुंदरता हर किसी को आकर्षित करती है। यह स्थान उन लोगों के लिए विशेष रूप से उपयुक्त है जो भीषण गर्मी से राहत पाना चाहते हैं और प्रकृति की गोद में कुछ समय बिताना चाहते हैं।

भरमौर कैसे पहुंचे?

भरमौर पहुंचने के लिए सबसे निकटतम हवाई अड्डा धर्मशाला का गग्गल हवाई अड्डा है, जो लगभग 180 किलोमीटर दूर है। निकटतम रेलवे स्टेशन पठानकोट है, जो भरमौर से लगभग 170 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से भरमौर तक टैक्सी या बस की सुविधा आसानी से उपलब्ध है।

भरमौर में ठहरने की व्यवस्था

भरमौर में कई होटल, होमस्टे और गेस्ट हाउस उपलब्ध हैं, जहां पर्यटक आरामदायक और सुरक्षित ठहराव का आनंद ले सकते हैं।

इस प्रकार, अगर आप भीषण गर्मी से राहत पाना चाहते हैं और एक शांतिपूर्ण और सुंदर स्थान पर कुछ समय बिताना चाहते हैं, तो भरमौर आपके लिए एक आदर्श गंतव्य हो सकता है।

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