ग्रामीण भारत में अल्ट्रासाउंड सेवाओं की कमी: PCPNDT अधिनियम में संशोधन आवश्यक

ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच को सुधारने के लिए PCPNDT अधिनियम में संशोधन और सुधार आवश्यक है। आधुनिक तकनीकों और सुलभ प्रशिक्षण कार्यक्रमों के साथ, हम न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य असमानताओं को कम कर सकते हैं बल्कि पूरे देश में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में भी सुधार कर सकते हैं।

प्री-कंसेप्शन और प्री-नेटल डायग्नोस्टिक तकनीक (PCPNDT) अधिनियम का उद्देश्य समाज में अस्वीकार्य हानियों को रोकना और जानबूझकर लिंग चयन जैसी समस्याओं से निपटना था। हालांकि, इस कानून के प्रवर्तन में जो व्यवहारिकताएँ शामिल हैं, वे ग्रामीण भारत के निवासियों के लिए डायग्नोस्टिक अल्ट्रासोनोग्राफी तक पहुँच को काफी प्रभावित करती हैं। यह कानून, जिसका उद्देश्य स्वास्थ्य असमानताओं को कम करना था, अब सबसे गरीब लोगों पर एक भारी बोझ डालता दिख रहा है और भारत में स्वास्थ्य असमानताओं को बढ़ा रहा है। पहाड़ी क्षेत्रों में खराब सड़कों की वजह से अल्ट्रासाउंड कराने के लिए शहरों में जाते हुए कई महिलाओं का गर्भपात हो जाता है।

ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य असमानता

ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच पहले से ही एक बड़ी चुनौती रही है। विशेषकर गर्भवती महिलाओं के लिए अल्ट्रासोनोग्राफी एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जो गर्भावस्था की जटिलताओं की पहचान करने और समय पर इलाज सुनिश्चित करने में सहायक है। लेकिन PCPNDT अधिनियम के कड़े प्रवर्तन ने ग्रामीण क्षेत्रों में अल्ट्रासोनोग्राफी की उपलब्धता को सीमित कर दिया है।

कानून में सुधार की आवश्यकता

समय आ गया है कि हम PCPNDT अधिनियम की समीक्षा करें और इसे अपडेट करें ताकि अल्ट्रासोनोग्राफी की सेवाएँ देश के सबसे दूरस्थ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी उपलब्ध हो सकें। इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं:

संक्षिप्त और सुलभ प्रशिक्षण पाठ्यक्रम

अल्ट्रासोनोग्राफी के लिए संक्षिप्त और सुलभ प्रशिक्षण पाठ्यक्रम शुरू किए जाने चाहिए ताकि अधिक स्वास्थ्यकर्मी इस तकनीक का उपयोग करने में सक्षम हो सकें। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों की उपलब्धता बढ़ेगी।

रेडियोलॉजिस्ट और ग्रामीण चिकित्सकों के बीच सहयोग

रेडियोलॉजिस्ट और ग्रामीण चिकित्सकों एवं सुविधाओं के बीच सहयोग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। यह सहयोग न केवल ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करेगा बल्कि ग्रामीण चिकित्सकों को बेहतर प्रशिक्षण और सहायता भी प्रदान करेगा।

आधुनिक अल्ट्रासाउंड मशीनें और “साइलेंट ऑब्जर्वर” तकनीक

आधुनिक अल्ट्रासाउंड मशीनें जो “साइलेंट ऑब्जर्वर” मोड में सभी छवियों को सावधानीपूर्वक रिकॉर्ड कर सकती हैं, उनका उपयोग किया जाना चाहिए। पूर्व में उपयोग की गई “साइलेंट ऑब्जर्वर” तकनीकों में कुछ संशोधनों के साथ, यह तकनीक अल्ट्रासाउंड तकनीक के संभावित दुरुपयोग की बेहतर निगरानी करते हुए अधिक पहुंच प्रदान करती है।

निष्कर्ष

ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच को सुधारने के लिए PCPNDT अधिनियम में संशोधन और सुधार आवश्यक है। आधुनिक तकनीकों और सुलभ प्रशिक्षण कार्यक्रमों के साथ, हम न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य असमानताओं को कम कर सकते हैं बल्कि पूरे देश में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में भी सुधार कर सकते हैं। इस दिशा में गंभीर प्रयास करने से ही हम एक स्वस्थ और समानता पर आधारित समाज का निर्माण कर पाएंगे।