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चुनावी रैली में शामिल होना शिक्षक को पड़ा महंगा, निलंबित होना पड़ा

नाहन: हिमाचल प्रदेश के विधानसभा क्षेत्र नाहन के तहत उच्च पाठशाला मलगांव से संबंधित शास्त्री पद पर तैनात शिक्षक को भाजपा प्रत्याशी की चुनावी रैली में शामिल होना भारी पड़ गया है। शिकायत मिलने के बाद शिक्षक को निलंबित कर दिया गया है। निलंबन के बाद शिक्षक का हेडक्वार्टर शिलाई निर्धारित किया गया है।

मामला उस समय प्रकाश में आया जब शिक्षक प्रशांत शर्मा के फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुए, जिसमें वह प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल और अन्य नेताओं के साथ भाजपा प्रत्याशी सुरेश कश्यप की चुनावी रैली में नजर आए। यह फोटो जिला निर्वाचन अधिकारी तक पहुँची और इसके बाद सी-विजिल एप के माध्यम से शिकायत दर्ज की गई।

शिकायत प्राप्त होते ही चुनाव आयोग ने तत्काल जांच शुरू कर दी और शिक्षक से इस मामले में जवाब तलब किया। शिक्षक का जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया, जिससे आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की पुष्टि हुई। चुनाव आयोग ने इस मामले में शिक्षा विभाग को कार्रवाई करने के लिए पत्र जारी किया।

शिक्षा विभाग ने भी शिक्षक से जवाब मांगा, लेकिन उनका जवाब भी संतोषजनक नहीं पाया गया। इसके पश्चात उपनिदेशक प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने शिक्षक को निलंबित करने का आदेश जारी किया और निलंबन अवधि के दौरान उनका हेडक्वार्टर जीएसएसएस शिलाई में तय किया।

इस मामले ने शिक्षकों और शिक्षा विभाग के कर्मचारियों के बीच चिंता का माहौल पैदा कर दिया है। चुनावी प्रक्रिया में शामिल होते समय सरकारी कर्मचारियों को सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है, अन्यथा उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

शिक्षक प्रशांत शर्मा का मामला अन्य सरकारी कर्मचारियों के लिए एक चेतावनी बन गया है कि वे चुनावी गतिविधियों में शामिल होने से पहले नियमों और आचार संहिता का पालन अवश्य करें। चुनाव आयोग द्वारा जारी निर्देशों का पालन करना प्रत्येक सरकारी कर्मचारी की जिम्मेदारी है, और इस मामले में उल्लंघन होने पर सख्त कार्रवाई की जा सकती है।

राजकीय उच्च पाठशाला मलगांव के शिक्षक की भाजपा प्रत्याशी और नेताओं के साथ सोशल मीडिया पर तस्वीरें सामने आने के बाद, चुनाव आयोग को इस मामले में शिकायत प्राप्त हुई। शिकायत के आधार पर कार्रवाई करते हुए, आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के चलते शिक्षक को निलंबित कर दिया गया है।

– सुमित खिमटा, जिला निर्वाचन अधिकारी एवं उपायुक्त सिरमौर

इस घटना ने शिक्षा विभाग और सरकारी कर्मचारियों के बीच यह संदेश स्पष्ट कर दिया है कि चुनावी गतिविधियों में शामिल होने से पहले वे अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को समझें और किसी भी प्रकार के उल्लंघन से बचें।

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