हिमाचल प्रदेश के लिए रेलवे नेटवर्क का विकास और उन्नयन एक महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चरल चुनौती बनी हुई है। पठानकोट-जोगिंदरनगर रेलवे लाइन, जो कि हिमाचल प्रदेश के केंद्रीय क्षेत्रों की ओर एकमात्र मार्ग प्रदान करती है, इसके विकास और उन्नयन के लिए विशेष महत्वपूर्ण है। पिछले दस वर्षों में इस लाइन के ब्रॉड गेज में परिवर्तन की उम्मीद की गई थी, लेकिन उम्मीद के मुताबिक प्रगति नहीं हुई।
इस बीच, फेडरेशन ऑफ स्मॉल इंडस्ट्रीज ऑफ इंडिया (FSII) ने इस रेलवे लाइन को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दिलाने का सुझाव दिया है। वे मानते हैं कि इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, हालांकि हिमाचल प्रदेश में शिमला रेलवे लाइन पहले से ही विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्य है।
हिमाचल प्रदेश में फिलहाल कोई भी ब्रॉड गेज रेलवे लाइन नहीं है। राज्य के लोगों के लिए इस लाइन को ब्रॉड गेज में परिवर्तित करना अधिक लाभदायक हो सकता है, क्योंकि यह परिवर्तन स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देगा और आर्थिक विकास को गति प्रदान करेगा। इससे स्थानीय निवासियों की जीवनशैली में भी सुधार होगा। इससे औद्योगीकरण के साथ कुल्लू क्षेत्र के सेब को आसानी देश के भिविन्न स्थानों पर ले जाया सकेगा।
विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता इस क्षेत्र को एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व प्रदान करती है, लेकिन यह हिमाचल प्रदेश के विकास की मौजूदा और भविष्य की जरूरतों के लिहाज से पर्याप्त नहीं हो सकता।
इस विषय पर आम चर्चा यह सुझाव देती है कि राज्य के विकास के लिए आधुनिक और व्यापक परिवहन सुविधाएं ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। अंततः, हिमाचल प्रदेश के लिए यह निर्णय लेना अत्यंत महत्वपूर्ण होगा कि वे अपने रेलवे नेटवर्क का भविष्य कैसे आकार देना चाहते हैं। क्या वे इतिहास और संस्कृति की सुरक्षा को प्राथमिकता देंगे, या फिर आर्थिक विकास और आधुनिकीकरण की ओर अधिक ध्यान केंद्रित करेंगे? इस निर्णय से हिमाचल प्रदेश की विकास यात्रा की दिशा और दशा दोनों प्रभावित होंगी।