हरियाणा में किसानों ने पराल जलाया तो धुआं दिल्ली तक के लोगों की सेहत खराब करने लगा.जिस पर हरियाणा में पर्ल जलाने पर रोक लगा दी गयी.
हिमाचल प्रदेश में पर्यावरण प्रदूषण शायद इस स्तर तक खराब नहीं हुआ कि सरकार को नए नियम बनाने पड़ें.या फिर सरकार पर्यावरण को ज्यादा प्रदूषित होने तक का इंतजार कर रही है. केंद्र सरकार द्वारा ग्रामीण गृहणियों को पारम्परिक लकड़ी के ईंधन वाले चूल्हे की जगह गैस चूल्हे तक पहुंचाने के कार्य ने पर्यावरण में हर रोज फैलने वाले धुएं से राहत तो पहुंचा दी लेकिन प्रदेश के किसानों द्वारा खेतों में जलाई जा रही खरपतवार व झाड़ियों के कारण फैलने वाले धुएं से भी वातावरण प्रदूषित हो रहा है.कई बार खेतों में जलाई गई यह आग जंगल तक पहुंच कर तबाही मचा चुकी है तो कई बार अन्य किसानों बागवानों के पेड़ पौधों को नुक्सान पहुंचा चुकी है.खरीफ की फसल बीज न से पूर्व आजकल किसान अपने खेतों में लगी झाड़ियों को काटकर जला रहे हैं जिस करण वातावरण में धुआं फैल रहा है.प्रदूषण के अलावा यह धुआं साँस की बीमारी से पीड़ित लोगों पर कहर ढाल रहा है.
सरकार ने पैसिव धूम्रपान के नुक्सान से लोगों को बचाने के लिए सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान पर तो पाबंदी लगा दी है लेकिन किसानों द्वारा खेतों में जलाई गई आग व जंगलों की आग के धुएं से होने वाले पैसिव धूम्रपान के लिए अभी कोई कदम नहीं उठाया है.लोगों का कहना है कि अगर समय रहते सरकार ने इस मामले कड़े नियम न बनाए तो हिमाचल प्रदेश में भी सांस लेना आसान नहीं होगा .