भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने हाल ही में आगामी लोकसभा चुनाव के लिए अपने घोषणा पत्र की समिति का गठन किया है, जिसमें हिमाचल प्रदेश से किसी भी नेता को जगह नहीं दी गई है। समिति के गठन की घोषणा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने की, जिसका अध्यक्ष रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को बनाया गया है, जो उत्तर प्रदेश से आते हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को संयोजक नियुक्त किया गया है, और समिति में कुल 27 सदस्य हैं।
इस घोषणा के साथ ही, हिमाचल प्रदेश सहित पहाड़ी प्रदेशों के मुद्दों को घोषणा पत्र में जगह मिलने के विषय में चिंता जताई जा रही है। उत्तराखंड, पंजाब, और जम्मू-कश्मीर जैसे पड़ोसी राज्यों से भी किसी सदस्य को समिति में जगह नहीं दी गई है।
हिमाचल मे सिर्फ 4 लोकसभा सीटे और जीत सुनिश्चित होने की वजह से मुद्दों को अनदेखा किया जाता है: आपदा मे भी विशेष मदद नहीं
हिमाचल मे सिर्फ 4 लोकसभा सीटे और जीत सुनिश्चित होने की वजह से मुद्दों को अनदेखा किया जाता है। 2023 की आपदाओं मे भी हिमाचल प्रदेश को केंद्र सरकार ने पर्याप्त मदद नहीं की थी। 2019 के चुनावों में हिमाचल प्रदेश की जनता ने 70% वोट भाजपा के पक्ष मे डाले थे लेकिन हिमाचल को कोई विशेष मदद नहीं मिली। हिमाचल मे विकास कार्यों की गति कम ही रही और बड़े राज्यों की तरह कोई विशेष मदद नहीं मिली।
हिमाचल प्रदेश में कई विशेष चिंताएँ और मुद्दे हैं जैसे कि सेब पर आयात शुल्क बढ़ाने का मामला, हिमाचल के पहाड़ों तक रेलवे के विस्तार का विषय, और अन्य क्षेत्रीय विकास की जरूरतें। इन मुद्दों को राष्ट्रीय मंचों पर पहुंचाने और उन्हें उचित प्रतिनिधित्व दिलाने की आवश्यकता है।
पर्यटन: पहाड़ी प्रदेशों की अर्थव्यवस्था में पर्यटन एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। पर्यटन के विकास से न केवल रोजगार के अवसर बढ़ते हैं बल्कि स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को भी बढ़ावा मिलता है। इसके लिए बेहतर सड़क संपर्क, पर्यटन सुविधाओं का विकास और पर्यटकों के लिए जानकारी केंद्रों की स्थापना जैसे कदम आवश्यक हैं।
आधारभूत संरचना: बेहतर आधारभूत संरचना की स्थापना जैसे कि सड़क, पानी, बिजली, और इंटरनेट सुविधाओं का विस्तार पहाड़ी क्षेत्रों के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
स्वास्थ्य सेवाएं: पहाड़ी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच और गुणवत्ता में सुधार करना जरूरी है। दुर्गम क्षेत्रों में मोबाइल हेल्थ यूनिट्स और टेलीमेडिसिन के जरिए चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार करना होगा।
राजनीतिक दलों की भूमिका
घोषणा पत्र राजनीतिक दलों के वादों और योजनाओं का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है। इसमें राज्य के मुद्दे न पहुंचने की स्थिति में, राज्य के लोगों के हितों की अनदेखी हो सकती है। हालांकि भाजपा ने हिमाचल प्रदेश में भी चुनाव घोषणा पत्र के लिए मुद्दे एकत्र करने को लेकर एक स्थानीय कमेटी का गठन किया है, राष्ट्रीय स्तर पर घोषणा पत्र में हिमाचल प्रदेश के मुद्दों की उपस्थिति अभी भी एक प्रश्न चिह्न है।
आगे की राह
हिमाचल प्रदेश के लोगों और अन्य पहाड़ी राज्यों की जनता को उम्मीद है कि भाजपा और अन्य राजनीतिक दल उनके मुद्दों को उचित प्रतिनिधित्व देंगे और उन्हें अपने घोषणा पत्र में जगह देंगे। इसके लिए, राज्य के नेताओं को सक्रिय रूप से इन मुद्दों को उठाने और उन्हें राष्ट्रीय मंच पर ले जाने की जरूरत है।