सुखविंदर सिंह सुक्खू भारत के सबसे झूठे मुख्यमंत्री: राजेंद्र राणा

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के भीतर जारी अंतर्कलह ने एक बार फिर से राजनीतिक चर्चाओं को गरमा दिया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता राजेंद्र राणा ने हाल ही में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की कार्यशैली पर कड़ी आलोचना की है। राणा के अनुसार, “प्रदेश में मौजूदा सरकार कांग्रेस की नहीं बल्कि सुक्खू के मित्रों की सरकार है।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सुक्खू “भारत के सभी मुख्यमंत्रियों में सबसे बड़े झूठे हैं।” इसके अलावा, उन्होंने राज्यसभा चुनावों में हिमाचल प्रदेश से वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं में से किसी एक को उम्मीदवार बनाए जाने की जरूरत पर बल दिया।

राणा ने कहा कि उन्होंने हर्ष महाजन को राज्यसभा मे भेज कर हिमाचल के हितों की रक्षा की है। उनका कहना है कि हिमाचल एक छोटा स राज्य है जहां सिर्फ 3 ही राज्यसभा की सीटें हैं इसलिए यहाँ से विधानसभा चुनाव हारे किसी हिमाचली वरिष्ठ कॉंग्रेसी नेता या अन्य हिमाचली कार्यकर्ता को राज्यसभा उम्मीदवार बनाना चाहिए था ।

राणा का कहना है कि राज्य की सरकार जनता के लिए कोई काम नहीं कर रही है। छात्र परिणामों की मांग को लेकर हड़ताल पर हैं, लेकिन सरकार की ओर से इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने यह भी दावा किया कि उन्होंने पार्टी, जाति, या धर्म की परवाह किए बिना सभी लोगों के लिए काम किया है।

राजेंद्र राणा के इन आरोपों से प्रदेश की राजनीति में एक नई उथल-पुथल की स्थिति पैदा हो गई है। उनकी इस तरह की टिप्पणियां सिर्फ पार्टी के भीतरी मतभेदों को ही उजागर नहीं करतीं, बल्कि यह भी संकेत देती हैं कि प्रदेश में आने वाले समय में राजनीतिक परिवर्तन की संभावनाएं हैं।

राजिंदर राणा की यह मांग कि सुक्खू को हटाकर किसी अन्य को मुख्यमंत्री बनाया जाए, कांग्रेस के नेतृत्व के समक्ष एक बड़ी चुनौती पेश करती है। यह स्थिति पार्टी के लिए एक अहम परीक्षण की घड़ी है, जिसमें उसे अपने आंतरिक मतभेदों को सुलझाने और एकजुट होकर आगे बढ़ने की दिशा में कदम उठाने होंगे।

इस प्रकार, हिमाचल प्रदेश की राजनीति में उत्पन्न हुई यह नई चुनौती न सिर्फ कांग्रेस के लिए बल्कि समूचे राज्य के लिए एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकती है। आगामी समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस पार्टी इन चुनौतियों का सामना कैसे करती है और इससे उत्पन्न होने वाले परिणाम क्या होंगे।