जिला की तरह चम्बा का सेब भी पिछड़ गया – सुरेश ठाकुर

रोजाना24, चम्बा 08 सितम्बर : चम्बा जिला के लोगों की आर्थिकी में मुख्य भूमिका निबाने वाले जिला के सेब को फल मंडियों में उचित दाम न मिलने से बागवानों में खासा रोष है। बागवान सेब को ऊंचे दाम पर बेचने के लिए अपने स्तर पर हर प्रयास कर चुके हैं लेकिन तमाम खर्चे काटकर सेब का मुल्य 15 से 20 रु प्रति किलोग्राम से ऊपर नहीं बढ़ पा रहा। 

पंजाब की मंडियों में सेब के कम दामों पर बिकने को लेकर सेब फल, सब्जी उत्पादक संघ भरमौर के अध्यक्ष सुरेश ठाकुर ने आज पत्रकार वार्ता में कहा कि पंजाब मंडियों में सेब फल को आढ़तियों का एक कार्टल कम दाम रख कर खरीद रहे हैं। वे सेब की बोली कम दामों से आरम्भ कर रहे हैं व फर्जी बोलीदाताओं के माध्यम से सस्ते दामों पर सेब को खरीद रहे है। जिससे सेब बागवानों को उनकी मेहनत का मुल्य नहीं मिल रहा। जबकि यही सेब बाजार में 100 से 180 रुपये प्रतिकिलो के दाम में बिक रहा है।

सुरेश ठाकुर ने कहा कि आज रद्दी के दाम 60 से 70 रुपये प्रति किलो हो गए हैं,जीएसटी के बाद खाली पेटी 30 रुपये के दाम तक पहुंच गई है। पैकिंग,ढुलाई, वाहन किराया मिला कर खर्च 150 रुपये प्रति पेटी पहुंच रहा है। और मंडी में सेब की पेटी 250 से 300 रुपये में बिक रही है। 

ऐसे में सेब के दाम बीस वर्षों से 15 से 20 रुपये प्रति किग्रा से आग नहीं बढ़ पा रहे ऊपर से मार्किट कमेटी के टैक्स की मार अलग। उन्होंने कहा कि बागवानों को आज तक समझ नहीं आया कि यह मार्किट कमेटी फल, सब्जी उत्पादकों के हित के लिए बनाई गई है या उन्हें लूटने के लिए।

 उन्होंने कहा कि आज तक कोई भी सरकार बागवानों की सहायता के लिए कोई सकारात्मक कदम नहीं उठा पाई है। जबकि कई वर्षों से जिला में कोल्ड स्टोर निर्मित करने की मांग उठ रही है। उद्यान विभाग बिना किसी जांच पड़ताल के न जाने कहां कहां से सेब के पौधे उठाकर यहां लोगों को बेच देता है जो दो चार वर्षों में सूख जाते हैं। 

उन्होंने कहा कि उद्यान विभाग द्वारा बागवानों को जागरूकता भ्रमण के नाम पर कुछ राजनीतिक पहुंच के लोगों को इधर-उधर सैर सपाटा पर लाखों रुपये खर्च किया जाता है लेकिन कभी उन्नत प्रजाति फल संतति नर्सरी के भ्रमण नहीं करवाया जाता । क्षेत्र के बागवानों को कभी मृदा परीक्षण के बारे में जानकारी नहीं दी जाती। 

उन्होंने कहा कि कुल मिला कर चम्बा जिला की भान्ति इस जिला का सेब फल भी दाम के मामले पिछड़ी श्रेणी में शामिल हो गया है। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि इस जिला में सेब बिक्री के लिए सेब सीजन में अस्थाई मंडी स्थापित की जानी चाहिए जहां सेब उत्पादक आसानी से सेब को बेच सकें। वहीं जिला में कोल्ड स्टोर का निर्माण बेहद आवश्यक है क्योंकि उचित मुल्य न मिलने की परिस्थिति बागवान अपनी फसल को कुछ समय तक यहां संरक्षित कर सकें।