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नारकीय हालात ! जिसने भी दृश्य देखे, बेबस नजरें नीची हो गईं

रोजाना24, चम्बा 08 फरवरी : जनजातीय मुख्यालय भरमौर में आज एक मार्मिक दृश्य देखने को मिला।एक व्यक्ति मरीज को पीठ पर उठाए व उसके साथ एक व्यक्ति मरीज को लगी ड्रिप की बोतल थामे तो उसके दूसरी ओर मरीज को सांसे प्रदान कर रहे ऑक्सीजन सिलेंडर को उठाए एक अन्य व्यक्ति के साथ मरीज की दवाई पर्ची व बिस्तर आदि सामान लिए कुछ और लोग भरमौर के मुख्य बाजार से गुजरे तो देखने वालों की आंखें भी अव्यवस्था को देखकर नीची हो गईं।

रोजाना24 ने इस हालत में मरीज को ले जाने का कारण जानने लिए परिजनों से पूछा तो मरीज के पुत्र कमल जीत ने कहा कि उनके पिता को भरमौर अस्पताल से क्षेत्रीय अस्पताल चम्बा के लिए रैफर किया गया है, आपात स्वास्थ्य सेवा 108 एम्बुलेंस पुराना बस अड्डा से अस्पताल परिसर तक नहीं जा रही इसलिए वे अपने गांव के लोगों की सहायता से इन्हें पीठ पर उठाकर एम्बुलेंस तक लेकर जा रहे हैं ।

ग्राम पंचायत पूलन के बगड़ू गांव निवासी 62 वर्षीय प्रताप सिंह को सांस लेने में परेशानी हो रही थी,चूंकि गांव सड़क से तीन किमी दूर है लिहाजा वे दर्द को इस आस में पीने की कोशिश करते रहे कि शायद थोड़ी देर में वे स्वस्थ हो जाएं । लेकिन उन्हें क्या पता था कि यह दर्द कम होने वाला नहीं । प्रताप सिंह की बिगड़ती तबीयत देखकर परिवारजनों उन्हें अस्पताल ले जाने का निर्णय लिया । इस परिवार के लिए विडम्बना देखिए कि सड़क तक पहुंचने वाला तीन किमी का पैदल रास्ता भी इन्सानों के चलने के लिए सुरक्षित नहीं है ।गांव से बुढ्ढल नदी तक डेढ किमी तक तीखी उतराई की पगडंडी तो नदी पार कर इतनी ही लम्बी सीधी खड़ी पगडंडी।

एक ओर प्रताप सिंह की हालत लगातार खराब हो रही थी दूसरी ओर उन्हें अस्पताल तक पहुंचाने के लिए अतिरिक्त मानव सहायता व स्ट्रेचर आदि की आवश्यकता थी लेकिन गांव में स्ट्रेचर कहां होती है । ऐसे में अक्सर एक दूसरे के सुख-दुख में काम आने वाले बगड़ू गांव के लोग बीमार प्रताप सिंह की सहायता के लिए पहुंच गए । लोगों ने बीमार प्रताप को पीठ पर बारी-बारी उठाकर यह लम्बा पैदल मार्ग तय‌कर लाहल नामक स्थान तक पहुंचाया जहां से उन्हें एम्बुलेंस से पुराना बस अड्डा भरमौर तक पहुंचाया गया । यहां से भी ग्रामीणों ने मरीज को पीठ पर उठाकर अस्पताल तक पहुंचाया ।

अस्पताल में मरीज की बीमारी के लक्षणों को देखते हुए चिकित्सकों ने कोविड टेस्ट किया तो यह पॉजिटिव पाया गया । कोविड पॉजिटिव आने के बाद उन्हें तुरंत चम्बा रैफर कर दिया गया ।

खंड चिकित्सा अधिकारी अंकित शर्मा ने कहा कि कोविड संक्रमित की हालत ज्यादा खराब थी जिस कारण उन्हें उन्नत स्वास्थ्य उपकरणों की आवश्यकता थी जिस कारण उन्हें चम्बा रैफर किया गया । उन्होंने कहा कि इस दौरान अस्पताल प्रशासन ने आपात स्वास्थ्य सेवा वाहन 108 की व्यवस्था करवा दी थी । उन्होंने कहा कि अगर 108 वाहन सेवा के अस्पताल परिसर तक न पहुंचने की जानकारी उन्हें दी जाती तो वे अस्पताल के वाहन से मरीज को आपात स्वास्थ्य सेवा वाहन 108 तक आवश्य पहुंचा देते ।

उधर इस बारे में आपात स्वास्थ्य सेवा वाहन 108 के चालक ने कहा कि पुराना बस अड्डा से अस्पताल तक के सड़क मार्ग पर बर्फ जमी है व जो  बर्फ हटाई गई है वह सड़क किनारे ही ठिकाने लगा दी गई है जिससे सड़क मार्ग संकरा हो गया है । ऐसी हालत में सड़क पर यह बड़े वाहन चलाना जोखिम भरा है इस लिए इन आपात एम्बुलेंस वाहनों को मुख्य सड़क मार्ग पर ही रखा गया है ।

सड़क को एम्बुलेंस वाहनों के चलने योग्य न बना पाने के लिए लोनिवि को जिम्मेदार ठहराया गया । रोजाना24 ने इस बारे में लोनिवि के सहायक अभियंता विशाल चौधरी से पक्ष पूछा तो उन्होंने कहा कि उक्त सड़क मार्ग पर वाहन चल रहे हैं । सड़क पर फिसलन रोकने के लिए रेत भी बिछाई गई है । उन्होंने कहा कि आपात स्वास्थ्य सेवा 108 प्रबंधन को यदि लगता है कि सड़क उनकी एम्बुलेंस योग्य नहीं खुली तो वे विभाग को सूचित कर सकते थे । उन्होंने कहा कि इस बर्फीले क्षेत्र में आपात सेवा के लिए तैनात वाहनों को बर्फ चलाने के लिए पहियों पर लोहे की चेन की व्यवस्था की जानी चाहिए थी ताकि किसी भी दशा में मरीज तक पहुंचा जा सके । उन्होंने कहा कि विभाग ने सड़कों को यातायात योग्य रखने के लिए हिमपात रुकने का इंतजार न करते हुए हिमपात के दौरान ही सड़क से बर्फ हटाने का कार्य किया है।

दो दिन पूर्व ऐसा ही मामला  भरमौर उपमंडल की ग्राम पंचायत रणूहकोठी के थोकला गांव से भी सामने आया था जब सड़क मार्ग के अभाव में लकवा का शिकार हुई महिला को दर्जनों ग्रामीणों ने बर्फ भरे रास्ते पर चार किमी तक पालकी में उठाकर सड़क तक पहुंचाया था। सड़क की मांग पूरी न होने पर इस गांव के लोग संसद उपचुनावों का बहिष्कार भी कर चुके हैं। लेकिन असर किसी पर होता नहीं दिखा ।

गौरतलब है कि इन गांव के लोग वर्षों से सड़क मार्ग की मांग करते आ रहे हैं लेकिन उन्हें वायदों से सहला कर चुप करवा दिया जाता है।  उक्त घटनाओं के लिए कौन जिम्मेदार है,किसे सजा मिलेगी यह तो बाद की बात है लेकिन क्षेत्र में आपात काल के दौरान सरकारी तंत्र से सहायता मिलना कितना कठिन है यह सबके सामने है ।

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