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2014 में सरकार ने दिए थे निर्देश,लंगर के लिए आईजीएमसी की भूमि न सौंपी जाए किसीको

रोजाना24,शिमला 7 सितम्बर : आईजीएमसी शिमला का लंगर मुद्दा पिछले कुछ दिनों से गर्माया हुआ है। एक ओर सरकार का विपक्ष इस मुद्दे को नाक की लड़ाई की तरह लेकर पूरी ताकत से अल्माईटी ब्लेसिंग का पक्ष लेकर सरकार व आईजीएमसी प्रशासन को झुकाने का प्रयास कर रहा है तो दूसरी ओर इस संस्थान के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक सरकार व अस्पताल प्रशासन की ओर से अकेले मोर्चा सम्भाले हुए हर प्रश्न का दो टूक जबाव दे रहे हैं।

एक ओर से प्रश्नों की बौछार हो रही है कि अल्माईटी ब्लेसिंग के लंगर को इसलिए बंद करवाया जा रहा है कि अस्पताल प्रशासन व सरकार यहां स्थापित कैंटीन संचालकों को लाभ पहुंचाना चाहते हैं। वहीं कुछ लोगों ने 7 वर्षों बाद इस मामले कार्यवाही करने को लेकर सवाल दागे हैं।

संस्थान के वरिष्ठ अधीक्षक डॉ जनक राज ने इन सबके सीधे जबाव देते हुए कहा कि वर्ष 2014 में संस्थान में लंगर चलाने के लिए अनुमति हेतु प्रदेश सरकार को आवेदन किया गया था। जिस पर प्रधान सचिव (सचिव) हिप्र सरकार ने इस संस्थान के प्रधानाचार्य को निर्देश जारी करते हुए लिखा था कि गैर सरकारी संस्था को संस्थान में मरीजों  व तीमारदारों के लिए चाय व खिचड़ी की मुफ्त सेवा देने की अनुमति के लिए दो आवश्यक शर्तें रखी गईं थीं जिनमें से एक आईजीएमसी की भूमि को लंगर चलाने के लिए किसी के हवाले नहीं किया जाएगा। दूसरी शर्त यह थी कि एनजीओ मरीजों व तीमारदारों को चाय व खिचड़ी परोसने के अलावा और कोई गतिविधि नहीं करेगा।

वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक ने कहा कि संस्थान में मरीजों व जरूरतमंदों को लंगर परोसने के लिए कभी मन्हा नहीं किया गया है। यहां केवल अल्माईटी ब्लेसिंग ही लंगर सेवा नहीं दे रही अपितु नोफेल वेलफेअर नामक गैर सरकारी संस्था भी मरीजों व अन्य जरूरतमंद लोगों के भोजन की व्यवस्था कर रही है। इनके अलावा और कोई अन्य संस्था भी मरीजों के भोजन की व्यवस्था करना चाहती है तो वे सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुरूप सेवा कर सकती है।

उन्होंने कहा कि इस मामले में आमजनता को गुमराह करके ऐसा संदेश फैलाया जा रहा है जिससे लगे कि अस्पताल प्रशासन व सरकार किसी कैंटीन संचालक को लाभ दिलाने के लिए लंगर सेवा को बंद करवा रही है। उन्होंने कहा कि अगर सचमुच लंगर बंद करवाया होता तो आम जनता विरोध करती जबकि अस्पताल के मरीजों व तीमारदारों को लगातार निशुल्क भोजन मिलने के कारण कोई आपत्ति नहीं है।

उन्होंने कहा कि आम लोगों के टैक्स के से ही संस्थान लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं दे पाता है ऐसे में अस्पताल प्रशासन को सरकार किसी और द्वारा बिजली व पानी के उपभोग पर आम जनता के धन को खर्च करने की अनुमति नहीं देती। ऐसे में संस्थान के बस इतना चाहता है कि संस्था भोजन को अस्पताल परिसर के बाहर से पका कर यहां मरीजों को परोसे । जब अन्य संस्थाएं ऐसा कर रही हैं तो अल्माईटी ब्लेसिंग को भी यह नियम मानने चाहिए ।

 

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