Site icon रोजाना 24

हिमाचल में है यह राष्ट्रीय राजमार्ग जिसपर 47 सीटर बस चलाना भी माना जाता जोखिम भरा

रोजाना24,चम्बा,18 अगस्त : राष्ट्रीय राजमार्ग का नाम सुनते ही ऐसे चौड़े-चौड़े क्रैश बैरियर से सुरक्षित व सुसज्जित कि सड़क मार्गों की छवि मस्तिष्क में उभरती है जिस पर बड़े बड़े व लम्बे वाहन रफ्तार से दौड़ रहे हों।

वास्तव में राष्ट्रीय राजमार्ग इसीलिए तो बनाए जाते हैं ताकि लम्बी दूरियों के सफर को कम से कम समय में पूरा किया जा सके सके। हिमाटल के ही पड़ोसी राज्य पंजाब के पठानकोट से अमृतसर के बीच करीब 110 किमी की दूरी को बसों के माध्यम से लगभग 2ः40 घंटे में पूरा कर लिया जाता है जबकि इस रूट पर एक बस करीब 500 यात्रियों को विभन्न पड़ावों पर उतारती व चढ़ाती हैं।

यह उदाहरण इस लिए महत्व पूर्ण है क्योंकि हिप्र के भरमौर से चम्बा तक  का सड़क मार्ग भी राष्ट्रीय राजमार्ग है। राष्ट्रीय राजमार्ग 154 ए जिस पर करीब 60 किमी का सफर तय करने में बसों को 3 घटों से अधिक समय लग जाता है। ऐर बस भी कोई 52 या 47 सीट क्षमता वाली नहीं बल्कि मात्र 37 सीट वाली। जिस पर कम यात्रियो को लाभ मिल पा रहा है।

प्रश्न यही उठता है कि जब सड़क एनएच के मानकों की है तो बसें जिला स्तरीय रोड़ क्षमता वाली क्यों चल रही हैंं।भरमौर से शिमला के लिए हाल ही में एक बस चलाई जा रही है जोकि चम्बा में बदलनी पड़ती है। यात्रियों ने जब परिवहन निगम अदिकारियों से जब इस बारे में पूछा तो उन्हें जबाव मिला कि भरमौर के 37 सीट क्षमता की बस भेजी जाती है जबकि चम्बा से शिमला के लिए 47 सीटर।

इस संदर्भ में हमने परिवहन निगम के क्षेत्रीय प्रबन्धक से समस्या का कारण जाना तो उन्होंने कहा कि चम्बा भरमौर सड़क मार्ग की दशा किसी से छिपी नहीं है। कई जगह सड़क बड़ी बसों के योग्य नहीं है इसलिए भरमौर-चम्बा राष्ट्रीय राजमार्ग पर 37 सीट क्षमता की बसें चलाई जा रही हैं।

उधर इस बारे में अधिशाषी अभियंता राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण 154 ए राजीव कुमार ने कहा कि चम्बा से भरमौर राजमार्ग बड़े वाहनों के लिए पूरी तरह सुरक्षित है।उन्होंने ने होली में निर्माणाधीन विद्युत परियोजनाओं के लिए सामान ढोने वाले बड़े बड़े ट्रालों की की आवाजाही का हवाला देते हुए कहा कि जब कम्पनियों की बड़ी बड़ी मशीनरियां इस सड़क से गजर सकती हैं तो परवहन निगम की बसें भी चल सकती है। उन्होंने कहा कि परिवहन निगम को जहां लगता है कि सड़क मार्ग बड़ी बस योग्य नहीं है तो इसकी जानकारी प्राधिकरण को दें,वे तुरंत उसका समाधान करेंगे।

अधिशाषी अभियंता के तर्क पर परिवहन निगम का कहना है कि बसों में सामान का नहीं बल्कि इनसानी जान का जोखिम होता है वहीं प्राधिकरण को सड़क क्षमता का प्रमाणपत्र निगम को देना होगा।

दो विभागों के झमेले में भरमौर से चम्बा-कांगड़ा-पालमपुर-इंदौरा-पठानकोट-धर्मशाला-शिमला की यात्रा करने करने वालों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है।

राष्ट्रीय राजमार्ग होने के बावजूद अगर परिवहन निगम बड़ी बसें नहीं चला सकता,2 घंटे के सफर के लिए तीन घंटे लगें, लोगों को एक रूट पर यात्रा करते हुए भी बस बदलनी पड़े तो इससे बड़ी विडम्बना क्या होगी ।

लोगों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से मांग की है कि वे इस समस्या का समाधान अपने भरमौर दौरे के दौरान ही कर दें।

Exit mobile version