रोजाना24,ऊना 3 जुलाई : मत्स्य विभाग हिमाचल प्रदेश के वैज्ञानिकों ने बर्फीले क्षेत्रों में पैदा की जाने वाली ‘‘ट्राउट’’ मच्छली की प्रजाति को पहली बार गोबिंद सागर जलाश्य के गर्म पानी में विकसित करने में सफलता हासिल की है।
ग्रामीण विकास, पंचायती राज, कृषि, पशु पालन तथा मत्स्य पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने बताया कि अब तक वर्तमान में बाज़ार में काफी महंगी बिकने वाली ‘‘ट्राउट’’ प्रजाति की मच्छली को ठंडे बर्फीले पहाड़ी क्षेत्रों में ब्यास, सतलुज तथा रावी नदी के 600 किलोमीटर लंबे नदी तट क्षेत्र में ही पैदा किया जाता है।वर्ष 2019 में मत्स्य विभाग हिमाचल प्रदेश ने प्रयोग के तौर पर ठंडे बर्फीले पानी में पैदा होने वाली ‘‘ट्राउट’’ प्रजाति की पांच सौ फिंगरलिंग्स को शिमला ज़िला के धमवारी ट्राऊट फार्म से गोबिंद सागर जलाश्य से लाकर परोईयां में पालन पोषण के लिए पिंजरों में रखा तथा इसके सफल परीक्षण के बाद मत्स्य विभाग ने सितंबर-अक्टूबर 2020 कोलडैम जलाश्य के कसोल में 24 पिंजड़ों में लगभग 30,000 फिंगरलिंग्स को ट्राउट फार्म हमनी ज़िला कुल्लू से पालन पोषण के लिए स्थानंतरित किया। कौल डैम जलाश्य में पालन पोषण के लिए स्थानांतरित फिंगरलिंग का वजन मात्र 8 माह में 10-12 ग्राम से बढ़कर 1 किलोग्राम तक पहुंच गया, जबकि ठंडे क्षेत्रों में इतना वजन बढ़ने में 2 साल से 2.5 वर्ष तक का समय लग जाता है, जिससे इस प्रयोग की सफलता को आंका जा सकता है।
मत्स्य पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने बताया कि बिलासपुर ज़िला के कोलडैम जलाश्य में विभाग ने 300 ग्राम से लेकर एक किलोग्राम तक वजन की लगभग आठ मीट्रिक टन ट्राउट मच्छलियां विकसित कीं, जिनमें से 224 किलो ग्राम वजन की 490 मच्छलियां बाजार में बिक गईं। मत्स्य विभाग ने ट्राउट मच्छलियों की बिक्री को प्रोत्साहित करने के लिए 550 रुपए प्रति किलोग्राम बाजार भाव की बजाए 350 रुपए प्रति किलो की रियायती दर पर ट्राउट मच्छलियां बेचने का निर्णय लिया है।कंवर ने कहा कि राज्य में आगामी वर्षों में 850 मीट्रिक टन ट्राउट मच्छली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है तथा इसमें से 100 मीट्रिक टन नए विकसित रेसबेज में किया जाएगा।
इस समय राज्य के 5574 घरों के 12,347 पंजीकृत मच्छुआरे 300 मच्छली नौकाओं के माध्यम से सम्मानजनक आजीविका कमा रहे हैं।मत्स्य पालन मंत्री ने कहा कि नीली क्रांति के अंतर्गत राज्य में एक आईस प्लांट तथा तीन लैंडिंग सैंटर विकसित किए गए हैं, जबकि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत मच्छुआरों को कई नई आधुनिक सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।
वर्ष 2020-2021 में राज्य में 3096.22 लाख रुपए की कीमत की 688.85 मीट्रिक टन ट्राउट मच्छली का उत्पादन किया गया, जबकि वर्ष 2021-2022 में 4673.35 लाख रुपए कीमत की 849.70 मीट्रिक ट्राउट मच्छली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।मत्स्य पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने बताया कि राज्य में मच्छली उत्पादन के ढांचागत विकास के लिए 29 हैचरी, 13 फीड मिल, 3 रिटेल आउटलेट, ट्राउट केज कल्चर विकसित किए जा रहे हैं। राज्य में 3000 किलोमीटर नदीय तट पर मच्छली उत्पादन किया जाता है, जिसमें से 600 किलोमटर लंबे नदीय तट पर ट्राउट मछली का उत्पादन किया जाता है। उन्होंने कहा कि राज्य में ट्राउट मच्छली उत्पादकों को मत्स्य विभाग के आठ विभागीय ट्राउट फार्म के माध्यम से सस्ती दरों पर गुणवत्ता वाले बीज प्रदान किए जाते हैं। मत्स्य पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने बताया कि इस समय राज्य में 606 परिवार 1198 रेसबेज के माध्यम से ट्राउट मच्छली का उत्पादन कर अपनी आजीविका कमा रहे हैं। राज्य में इस समय ट्राउट मच्छली का उत्पादन कुल्लू, मंडी, कांगड़ा किन्नौर, चंबा, सिरमौर तथा शिमला जिलों के ऊंचे पर्वतीय स्थलों में किया जा रहा है तथा इस सफल परीक्षण से बिलासपुर, ऊना, हमीरपुर जिलों में भी ट्राउट मच्छली का उत्पादन किया जा सकेगा।