चिकित्सा के क्षेत्र में हिमाचल का नया आयाम,IVL( INTRAVASCULAR LITHOTRIPSY) तकनीक से किया पहला सफल ऑपरेशन – डॉ जनक राज

रोजाना24,शिमला : डॉक्टर भगवान का रूप होते हैं यह तो कई बार देख चुके हैं । इस बार तो इन चिकित्सकों ने हिमाचल की चिकित्सा क्षेत्र में नई मिसाल प्रस्तुत कर दी ।

शिमला के समरहिल निवासी 58 वर्षीय व्यक्ति को दिल का दौरा पड़ा तो परिजन उसे आईजीएमसी शिमला ले गए । जहां चिकित्सकों ने तुरंत हरकत में में आते हुए जांच की पाया कि मरीज के दिल की खून की तीनों नसों में रुकावट थी। रुकावट का मुख्य कारण नसों में अत्यधिक मात्रा में कैल्सियम  जमा होना था । इसी कारण उस मरीज़ को हार्ट अटैक हुआ था । रक्तवहिनियों में अधिक कैल्सियम की वजह से वे सख़्त हो चुकी थीं। इस रुकावट को खोलने कि लिए चिकित्सकों के पास केवल बाइपास ऑपरेशन का रास्ता बचा था । लेकिन समस्या यह थी कि  मरीज़ का शरीर ऑपरेशन किए जाने की स्थिति में नहीं था ।

ऐसी स्थिति में आईजीएमसी के कार्डियोलॉजी विभाग के डॉक्टर कुणाल महाजन ने कार्यकुशलता का परिचय देते हुए एक अत्यंत गंभीर और दुर्लभ बीमारी का इलाज एक अत्याधुनिक तकनीक से मरीज़ का  इलाज किया। इस तकनीक को IVL( INTRAVASCULAR LITHOTRIPSY)  कहते हैं ।

IVL INTRAVASCULAR LITHOTRIPSY को हम ऐसे समझ सकते हैं कि इसमें धमनी के भीतर ही पत्थरी नुमा रुकावट को तोड़ा जाता है ।
इस मामले में अत्याधिक मात्रा में कैल्सियम जमा हो जाने से खून के नस के अंदर पत्थरीनुमा रुकावटें बन गयी थीं।

डॉ कुणाल महाजन व उनकी टीम  घंटों तक चले इस ऑपरेशन के सफलतापूर्ण अंजाम देकर 58 वर्षीय इस व्यक्ति को नया जीवन प्रदान किया ।

संस्थान के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डॉ जनक राज बताते हैं कि अपनी तरह का पहला और अनोखा आपरेशन है जो हिमाचल में किया गया है। मरीज की स्थिति को देखते हुए सर्जरी टीम ने जिस विवेक व कुशलता से अपने कार्य को अंजाम दिया है वह सराहनीय व अतुलनीय है।

उन्होंने कहा कि इस संस्थान में मुख्यमंत्री ने आपात समय के लिए आवश्यक सर्जरी मशीनें व उपकरण स्थापित किए गए हैं । जिस कारण आपात स्थिति में मरीजों के ऑपरेशन कर उनका जीवन बचाया जा रहा है । उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन पर 3.5 लाख रुपये का खर्च आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत किया है।

और मरीज़ को यह इलाज निशुल्क प्रदान किया गया है।