अपने खलिहान में निशुल्क कक्षाएं लगाकर पढ़ा रहा है नेशनल प्राईड बुक ऑफ रिकॉर्ड 2020 का यह 'नोबल टीचर'

रोजाना24,चम्बा ः  कुछ लोग अपने कार्य के प्रति इतने गम्भीर होते हैं कि उन्हें इस बात का ख्याल भी नहीं रहता कि वे कुछ सीमाओं को भी पार कर गए हैं।ऐसा एक मामला जनजातीय क्षेत्र भरमौर में भी सामने आया है जहां एक अध्यापक ऐसा भी है जो अपने स्कूल के बच्चों की शिक्षा के प्रति बहुत संवेदनशील है.जिसने स्कूल बंद होने की स्थिति में अपने घर में ही बच्चों की निशुल्क कक्षाएं चला दी हैं.कोविड-19 से बचाव के तहत स्वास्थ्य विभाग के दिशानिर्देशों की पालना करते हुए इस अध्यापक ने अपने घर के लैंटल पर दो शिफ्टों में बच्चों की पढ़ाई की जिम्मेदारी उठा रखी है.

 कोरोना वायरस के कारण जारी लॉकडाऊन के कारण इस शैक्षणिक सत्र में स्कूल करीब करीब बंद ही रहे हैं.जिस कारण बच्चों की शिक्षा बुरी तरह प्रभावित हुई है.बच्चों को पाठ्यक्रम से जोड़े रखने के लिए सरकार ने ऑनलाईन व टेलीविजन शिक्षा के लिए भी प्रेरित किया लेकिन सैकड़ों बच्चों के पास स्मार्ट मोबाइल भी नहीं हैं तो वहीं जिनके पास मोबाइल हैं वे लगातार इनके प्रयोग के कारण अन्य शारीरिक समस्याओं की शिकायतें दर्ज करवा रहे हैं.लॉकडाऊन के प्रारंभिक चरण में ऑनलाईन शिक्षा के प्रति आकर्षित अभिभावक व बच्चे अब इससे भी परेशान हो रहे हैं.बहुत से बच्चे अब ऑनलाईन शिक्षा से किनारा कर रहे हैं.

यह कोई और नहीं बल्कि जनजातीय क्षेत्र भरमौर के प्राथमिक स्कूल थल्ली सियूका के अध्यापक देशराज हैं।जिनका नाम अब किसी पहचान का मोहताज नहीं रहा है जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में कई ईनाम करते हुए हाल ही में ‘नेशनल प्राईड बुक ऑफ रिकॉर्ड 2020’ का ‘नोबल टीचर‘   अवार्ड भी जीता है.यह अध्यापक बच्चों की शिक्षा के लिए बेहद संजीदा है.पठन-पाठन सामग्री वे स्वयं ही तैयार कर बच्चों को सिखाते हैं.कौन बनेगा करोड़पति की तर्ज पर शिक्षा देते हुए उनका वीडियो वायरल होने के बाद वे लोगों की नजरों में आए थे.देशराज स्कूल में कई आकर्षक गतिविधियों से शिक्षा देते हैं जिससे प्रभावित हो कर दो विदेशी संस्थाओं ने भी उनके स्कूल के बच्चों के लिए गेम,खेल व शैक्षणिक सामग्री भेजी थी.

देश राज आजकल अपने घर में बच्चों को पढ़ाते हुए लोगों की नजरों में आए हैं.यह कक्षाएं वे अपने घर परिसर में ही चला रहे हैं.इस बारे में थल्ली सियूका के इस अध्यापक देशराज से इस बारे में जानकारी ली गई तो उन्होंने इसकी बेहद गम्भीर वजह बताते हुए कहा कि भरमौर क्षेत्र शीतकालीन अवकाश वाले स्कूलों में आता है.यहां स्कूलों का शैक्षणिक सत्र नवम्बर माह में करीब करीब समाप्त हो जाता है.क्योंकि दिसम्बर माह में वार्षिक परीक्षाएं शुरू हो जाती हैं व जनवरी व फरवरी माह में शीतकालीन अवकाश में चला जाता है.इस वर्ष मार्च माह में जब स्कूल खुले तो उसी वक्त कोरोना वायरस के कारण स्कूल बंद हो गए और बच्चों की पढ़ाई भी बधित हो गई.

उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में बच्चों की पढ़ाई बीते नवम्बर माह से ही बंद थी लॉकडाउन के एक माह बाद उन्होंने गांव के बच्चों से पढ़ाई के बारे में जानकारी ली तो पता चला कि वे पिछली कक्षा का सीखा भी भूल रहे हैं.जिस कारण उन्होंने उनके अभिभावकों से बातचीत कर उनके घर पर ही कक्षाएं शुरू करने का फैसला लिया.देशराज ने कहा कि वे अपने घर के लैंटल की खुली जगह में दो शिफ्टों में कक्षाएं चला रहे हैं.सुबह 9:30 बजे से 1:30 तक तीसरी से पांचवी कक्षा कि विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते हैं जबकि 1:30 बजे से 4 बजे तक पहली व दूसरी कक्षाओं के बच्चे पढ़ने आते हैं.उन्होंने कहा कि यह बच्चे स्कूल के एक किमी की परिधि के गांवों में ही रहते हैं.वहीं इने अभिभावक भी गांव में ही कार्य करते हैं.जिस कारण कोविड संक्रमण की सम्भावना बेहद कम है.इसके बावजूद वे सब बच्चों के हाथ धोने व सैनिटाजर की व्यवस्था भी कर रहे हैं.

वे जानते हैं कि सरकार ने कक्षाएं चलाने की अनुमति नहीं दी है लेकिन इसके लिए उन्होंने सभी अभिभावकों की स्वीकृति लेकर यह कार्य शुरू किया है.देशराज हर रोज अकेले ही पांच कक्षाओं के 31 बच्चों को अपने घर में शिक्षा दे रहे हैं.जिससे अभिभावक वर्ग काफी खुश हैं अभिभावकों का कहना है कि उनके पास स्मार्टफोन नहीं हैं इस कारण उन्होंने देशराज के प्रयास पर हामी भर दी है.देश राज के इस कदम की लोगों ने खूब सराहना की है।लोगों का कहना है कि उनके इस कार्य को नियमों के विरुद्ध बताकर उन्हें परेशान भी किया जा सकता है लेकिन उनके निस्वार्थ  कार्य के लिए उठाए गए कदम ने साबित कर दिया कि वे वाकई एक आदर्श आध्यापक हैं