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आखिर क्यों ? सफाई व्यवस्था के खर्च की जिम्मेदारी पंचायत व व्यापार मंडल पर डालने की तैयारी.

रोजाना24,चम्बा : जनजातीय क्षेत्र भरमौर मुख्यालय में सफाई व्यवस्था के खर्च को लेकर भरमौर प्रशासन अपने हाथ खड़े करता दिख रहा है.प्रशासन ने सचिव ग्राम पंचायत भरमौर के माध्यम से व्यापार मंडल भरमौर व ग्राम पंचायत को मुख्यालय में सफाई के खर्च की जिम्मेदारी उठाने को कहा है.

इस संदर्भ में प्रशासन ने सचिव ग्राम पंचायत भरमौर को व्यापार मंडल भरमौर के साथ बैठक कर इस खर्च को वहन करने के लिए योजना तैयार करने के लिए कहा है.

पंचायत सचिव ने इस आशय को लेकर आज व्यापार मंडल प्रधान देशराज शर्मा व अन्य प्रतिनिधियों के साथ बैठक की बैठक में उन्होंने प्रशासन का पक्ष रखते हुए कहा कि अब तक मुख्यालय में सफाई व्यवस्था साडा के तहत होती रही है.जिसके लिए सुलभ इंटरनैशनल के साथ हुआ अनुबंध 31 जुलाई को समाप्त हो रहा है.उन्होंने प्रशासन या पक्ष रखते हुए कहा कि साडा के पास सफाई के लिए कोई फंड नहीं हैं.जिस कारण वे अगस्त माह से सफाई के खर्च को वहन नहीं कर सकता.उन्होंने कहा कि हर वर्ष सफाई व्यवस्था पर करीब पंद्रह लाख रुपये खर्च हो रहे हैं.

इस दौरान व्यापार मंडल प्रधान देशराज शर्मा ने कहा कि प्रशासन अपने कर्तव्य को भूलकर अजीबोगरीब फैसले ले रहा है.उन्होंने कहा कि भरमौर मुख्यालय व आसपास की पंचायतों को विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण में शामिल किया गया है.ताकि प्राधिकरण इस क्षेत्र में लोगों की मूलभूत सुविधाओं के विकास कार्य कर सके.नियमानुसार साडा का कार्य इस क्षेत्र में मुख्यतः सफाई,पेयजल,बिजली,रास्तों,सड़कों की व्यवस्था दुरुस्त करना है जिसके लिए सरकार धनराशि जारी करती है.उन्होंने कहा कि क्षेत्र के दुकान बेहद छोटे स्तर पर कार्य करते हैं जिससे केवल उनकी रोजी रोटी व दुकान का किराया निकल सकता है.ऐसे में इतनी भारी राशी व्यापार मंडल वहन नहीं कर सकता.

उधर ग्राम पंचायत भरमौर की प्रधान सलोचना कपूर ने कहा कि ग्राम पंचायत भरमौर अपने अधिकार क्षेत्र में सफाई की व्यवस्था बखूबी सम्भाले हुए हैं.पंचायत के पास के अतिरिक्त फंड नहीं हैं.

प्रशासन की इस निर्णय को भरमौर मुख्यालय लोग प्रशासन की नाकामी करार दे रहे हैं.स्थानीय चौरासी मंदिर पुजारी एवं अधिवक्ता करण शर्मा ने कहा कि प्रशासन अगर ऐसी समस्या से जूझ रहा है तो वह सरकार से मदद मांग सकता है.वहीं व्यापार मंडल व पंचायत प्रतिनिधियों से सीधे संवाद भी कर सकता है.लेकिन प्रशासन किसी अन्य के माध्यम से अपनी बात पहुंचा कर न जाने क्या साबित करना चाहता है.

इस बारे में साडा के सचिव एवं उपमंडलाधिकारी भरमौर से इस पर टिप्पणी लेने का प्रयास किया गया लेकिन उन्होंने कोई जबाव नहीं दिया.

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