रोजाना24,चम्बा : शहर में एक घंटे के लिए सड़क और अस्पताल बंद हो जाएं तो हाहाकार मच जाता है विभागों के अधिकारियों की तुरंत जबावतलबी हो जाती है.क्योंकि वो शहर हैं,वहां बड़े बड़े अधिकारी,उद्योगपति,ठेकेदार व नेता लोग जो रहते हैं जिन्हें क्षण भर की दिक्कत आ जाए तो सरकार की भवें तन जाती हैं. लेकिन ऐसी ही समस्या ग्रामीण क्षेत्रों में हो तो कार्यवाही तो दूर सरकार आंखें मूंद लेती है भरमौर विस में हालात देखकर तो यही लग रहा है.आजादी के सात दशकों बाद स्वास्थ्य व सड़कों पर अरबों रुपये खर्च किए जाने के बावजूद सरकार लोगों को यह सेवाएं नहीं दे पा रही तो लोग किससे उम्मीद करें.
आज हम आपको अवगत करवा रहे हैं भरमौर विकास खंड के तहत आने वाली ग्राम पंचायत क्वारसी के हालात के बारे में जहां स्वास्थ्य खंड के अंतर्गत आने वाले उप स्वास्थ्य केंद्र कुआरसी के अंतर्गत कुआरसी,भरवाली,व हीलिंग गांव आते हैं.पंचायत की जनसंख्या करीब पांच सौ है.लेकिन इस पंचायत के लोग आज भी आदिवासियों की तरह जीने को मजबूर हैं.पंचायत के एक गांव हींलिंग के नजदीक ही सड़क पहुंचती है जबकि शेष गांव के लोगों को करीब पांच किमी पैदल चलकर सड़क तक पहुंचना पड़ता है.स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर यहां एक उप स्वास्थ्य केंद्र भी खोला गया है लेकिन इसका ताला हमेशा बंद रहता है.यह कहना है क्वारसी पंचायत के लोगों का.
गत दिनों क्वारसी गांव में एक युवती बीमार हो गई तो परिवार जन इसे उप स्वास्थ्य केंद्र ले गए लेकिन वहां ताला लटका होने के कारण उन्हें कोई स्वास्थ्य सहायता न मिली तो गांव के वैद्य आदि से जड़ी-बूटी व टोटके से ईलाज से ईलाज शुरू करना पड़ा.हालात ज्यादा बिगड़े तो बीमार को पांच किमी जोखिम भरे रास्ते से पीठ पर उठाकर सड़क मार्ग तक लाए जहां से इसे होली स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाया गया.
पंचायत के अतुल कुमार बताते हैं कि इस जनजातीय क्षेत्र की दूर दराज की पंचायतों के लोग आज भी आदिवासियों सा जीवनयापन कर रहे हैं.हमारी पंचायत के लिए न तो सड़क व न ही स्वास्थ्य सेवाएं हैं.लोगों को बीमारी से लड़ने के लिए लोग आज भी टोने-टोटके व जड़ी बूटी के भरोसे रहने के लिए मजबूर हैं.ग्रामीणों का कहना है कि वे वर्षों से सरकार व प्रशासन से सड़क व स्वास्थ्य केंद्र पर चिकित्सक तैनात करने की मांग करते आ रहे हैं लेकिन उनकी आवाज को अनसुना किया जा रहा है.यहां तैनात महिला स्वास्थ्य कर्मी कभी कभी आकर दवाइयां दे जाती है.लेकिन बिना चिकित्सक की जांच के वह भी ईलाज नही कर सकती.
सड़क व स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव के कारण गांव के लोग गर्भवती महिलाओं को जोखिम पूर्ण परिस्थिति में अक्सर घर पर प्रसव करवाने को मजबूर रहते हैं.
उधर इस बारे में खंड चिकित्सा अधिकारी अंकित शर्मा ने कहा कि उक्त उप स्वास्थ्य केंद्र पर एक चिकित्सक व एक महिला स्वास्थ्य कर्मी की तैनाती की गई है.उन्होंने कहा कि महिला स्वास्थ्य कर्मी के पास एक अन्य उप स्वास्थ्य केंद्र की जिम्मेदारी भी है.उन्होंने कहा कि वे स्वयं उक्त स्वास्थ्य केंद्र का दौरा कर व्यवस्था की जांच करेंगे.अगर ड्यूटी में किसी ने कोताही बरती है तो उसके विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी.
उधर मामले से जुड़ी तस्वीरें सामने आने के बाद प्रशासन ने लोनिवि को भी सड़क मामले पर कार्यवाही करने को कह दिया है.हालांकि लोनिवि की ओर से अभी कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है.