अब एचआरटीसी के ड्राइवर-कंडक्टर आए कोरोना योद्धा की भूमिका में .

रोजाना24,ऊना : अन्य राज्यों से ट्रेन के माध्यम से वापस लाए जा रहे हिमाचलियों को उनके जिलों तक पहुंचाने में हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों की विशेष भूमिका है। ऊना,पठानकोट रेलवे स्टेशनों पर उतरने के बाद यात्रियों को प्रदेश के हर जिला के दूर दराज गंतव्यों तक पहुंचाने का जिम्मा एचआरटीसी के ड्राइवर व कंडक्टर उठा रहे हैं। रविवार को अहमदाबाद से लौटी ट्रेन के माध्यम से सवारियों को कांगड़ा ले जाने वाले देहरा डिपो के ड्राइवर चेतराम ने बताया कि विभाग जो भी जिम्मेदारी उन्हें दे रहे हैं, एचआरटीसी का प्रत्येक कर्मचारी पूरी निष्ठा के साथ निभा रहा है। उन्होंने कहा कि कोरोना वैश्विक संकट है और प्रत्येक विभाग अपने दायित्व का निर्वहन कर रहा है। ऊना डिपो के ड्राइवर जगदेव सिंह व कंडक्टर रणबीर सिंह ने बताया कि उन्हें अहमदाबाद से आई ट्रेन के माध्यम से ऊना के यात्रियों को जिला में बनाए गए क्वारंटीन सेंटर तक पहुंचाने का काम सौंपा गया है। संकट की घड़ी में लोगों की मदद करके अच्छा लग रहा है और यह काम भी देश सेवा का ही है। यात्रियों को उनके गंतव्यों तक पहुंचाने के लिए प्रदेश भर के प्रत्येक डिपो से बसें भेजी जाती हैं और यह सारी व्यवस्था शिमला में बैठे निगम के उच्च अधिकारी देखते हैं। 18 मई को मुंबई से लौटी ट्रेन के लिए सवारियों को ले जाने के लिए मंडी डिपो से आए कंडक्टर पदम सिंह ने कहा “जिस प्रकार डॉक्टर व पुलिसकर्मी कोरोना संकट की इस घड़ी में अपना दायित्व निभा रहे हैं। उसी तहत प्रदेश सरकार ने हमें भी सेवा का अवसर प्रदान किया है। लोगों की सुरक्षित पहुंचाकर अच्छा महसूस होता है।”हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन विभाग अपने कर्मचारियों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखता है। बस को भेजने से पहले अच्छी तरह से सैनिटाइज किया जाता है और सवारियों को छोड़ने के बाद एक बार पुनः गाड़ी की सैनिटाइजेशन की जाती है। ऊना डिपो के आरएम जगरनाथ ने कहा “विभाग यात्रियों को ले जाने वाले चालकों व परिचालकों को सैनिटाइजर व मास्क उपलब्ध करवा रहा है और उन्हें विशेष रुप से सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन करने की हिदायत दी जाती है, ताकि वह स्वयं भी कोरोना संक्रमण के खतरे से बच सकें।”यात्रियों को बसों में चढ़ाने के लिए एक प्रोटोकॉल बनाया गया है, ताकि कोरोना संक्रमण के खतरे को कम से कम किया जा सके। सवारियों को पिछले दरवाजे से ही बस में बिठाया व उतारा जाता है और अगर दरवाजा हमेशा बंद रहता है। इसी तरह से बस के अंदर भी एक से लेकर तीन नंबर सीट तक पर यात्रियों के बैठने की मनाही होती है। यही नहीं बस के आगे के भाग को बंद कर दिया जाता है, ताकि कोई भी यात्री आगे के हिस्से में प्रवेश न कर पाए और ड्राइवर व कंडक्टर किसी भी यात्री के सीधे संपर्क में आने से बच सकें।उपायुक्त ऊना संदीप कुमार ने कहा कि निगम के ड्राइवर व कंडक्टर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। कोरोना योद्धाओं की तरह न सिर्फ वह बाहर से आने वाली ट्रेनों से यात्रियों को उनके जिलों तक पहुंचा रहे हैं बल्कि इससे पहले भी चंडीगढ़ व कोटा से बसें चलाई गईं थी, जिनके माध्यम से यात्रियों को ऊना वापस पहुंचाया जा सका है।