किवी व अखरोट को आर्थिकी की रीढ़ बनाने की तैयारी – डॉ एसएस चंदेल.

रोजाना24,चम्बा : भरमौर क्षेत्र का बागवान पिछले दो दशकों से सेब बागवानी के नजरिये से लगभग स्थापित हो चुका है.लेकिन अधिकांश बागवान पुराने रॉयल डलिशियस सेब का बागवानी ही कर रहे हैं.जो कि बागवानों की उम्मीद के मुताबिक पैदावार नहीं दे रहे.लोगों की इस समस्या को देखते हुए उद्यान विभाग ने क्षेत्र के बागवानों नई नस्ल के फल पौधे रोपने की सलाह दी है.उद्यान विभाग के वस्तु विषय विशेषज्ञ डॉ एसएस चंदेल ने कहा कि करीब करीब सभी बागवान केवल सेब की बागवानी की ओर ही झुकाव बनाए हुए हैं.कई बार मांग से पूर्ति ज़्यादा हो जाती है जिस कारण बागवानों को मंडी से सेब का उचित मुल्य भी नहीं मिल पाता.इसके लिए बागवानों को सेब के साथ साथ अन्य नकदी फलों पर भी ध्वज न देना चाहिए.उन्होंने कहा कि क्षेत्र में उन्नत प्रजाति के अखरोट,पलम,खुमानी,अनार,किवी फलों को भी बागवानी में शामिल करें ताकि आमदनी को बढ़ाया जा सके.

विषय वस्तु विशेषज्ञ ने कहा कि अगले हफ्ते से ही बागवानी विभाग बागवानों के लिए सेब की विभिन्न प्रजातियों के पौधों के अलावा,उन्नत किस्म के किवी,अनार,अखरोट,पलम,खुमानी आदि के पौधे उपलब्ध करवा रहा है.बागवान जिन्हें उपदान पर खरीद सकेगा.

गौरतलब है कि सेब उतपादन के लिए मशहूर भरमौर क्षेत्र के बागवानों को मणिमहेश यात्रा ने नये तरीके की बागवानी व नकदी फसलें उगाने के लिए प्रेरित किया है.यात्रा के दौरान क्षेत्र के लोग सेब,अखरोट,के साथ साथ यहां उत्पादित राजमाह,माश (उड़द) की दालें बेचकर भी आय बढ़ा रहे हैं.

कृषि विकास अधिकारी नवीन ठाकुर बताते हैं कि क्षेत्र की बढ़ती जनसंख्या,विद्युत परियोजनाओं,सरकारी विभागों में तैनात हजारों कर्मचारियों के भोजन के लिए टनों सब्जी व दालों की आवश्यकता है.लोगों की जरूरत को पूरा करने के लिए स्थानीय किसानों को ही बे मौसमी,जीरो बजट कृषि,व जैविक कृषि के लिए जागरूक किया जा रहा है.सब्जी उत्पादन में विभाग के मार्गदर्शन उपरान्त कुछ किसान उदाहरण बनकर उभरे हैं जिनसे अन्य किसान भी प्रेरणा ले रहे हैं.नवीन ठाकुर ने कहा कि मणिमहेश यात्रा के दौरान स्थानीय राजमाह व माश  की इतनी अधिक मांग रहती है कि अभी यह पूरी नहीं हो पा रही.किसानों को मंडियों तक जाने की जरुरत ही महसूस नहीं हो रही.उन्होंने कहा कि किसानों को इस दिशा में विभाग के परामर्श के साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता है.

क्षेत्र के बागवान व किसान जिस तेजी से आधुनिक बागवानी व कृषि को अपना कर आगे बढ़ने का प्रयास कर रहे हैं उससे निकट भविष्य में सरकार से नौकरी के मांगने वालों की संख्या कम होगी.