घोड़े खच्चर का व्यवसाय बना मणिमहेश यात्रा में तनाव का कारण !

चम्बा -: जम्मु कश्मीर से आए घोड़ा खच्चर मालिकों व हड़सर खच्चर मालिकों में बढ़ा तनाव.

मणिमहेश यात्रा महज धार्मिक व अध्यात्म लाभ तक ही सीमित रही है बल्कि अब यह लोगों की आय में मुख्य भूमिका अदा करने लगी है.अब तक तो चम्बा जिला के लोग इस यात्रा के दौरान अपना व्यवसाय चलाकर रोजी रोटी की व्यवस्था कर रहे थे लेकिन अब इसका लाभ उठाने के लिए पड़ोसी राज्य जम्मू कश्मीर के लोग भी भरमौर  पहुंच रहे हैं.वाहन से यात्रा के लिए हड़सर मणिमहेश मार्ग का अंतिम पड़ाव है जहां से आगे पैदल अथवा घोड़े खच्चर के माध्यम से यात्रा करनी पड़ती है.हड़सर से तेरह किमी का पैदल मार्ग खड़ी चढ़ाई वाला है इसलिए श्रद्धलुओं की हड़सर में घोड़े खच्चर की काफी मांग रहती है.श्रद्धालुओं की इस मांग को जिला चम्बा के साथ साथ पड़ोसी राज्य के घोड़ा खच्चर मालिकों ने भी बखूबी समझा है.

इस मौके पर अपनी आजीविका कमाने के लिए आजकल हड़सर में जम्मु कश्मीर के लोग भी सैकड़ों घोड़े खच्चरों के साथ पहुंच चुके हैं.

घोड़े खच्चरों के कारण श्रद्धालुओं को भले ही सुविधा मिल रही हो लेकिन इन प्रवासी घोड़े खच्चरों के कारण स्थानीय लोगों की चारागाहें व वन्यप्राणी सरंक्षित क्षेत्र के भू भाग भी इनकी भेंट चढ़ गए हैं.इस संदर्भ स्थानीय लोगों व इन प्रवासी लोगों के बी़च काफी तनातनी हो रही है.मामले को गम्भीर होते देख हड़सर के निवासी नेक राज,सुरेश कुमार,भारत राम,तिलक राज,महिन्दर शर्मा,पवन कुमार,ऋषि केष कुमार,विजय कुमार,चंचल आदि ने इस बारे में प्रशासन को ज्ञापन सौंपा है.उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों की चारागहों को प्रवासी लोगों की घोड़ों खच्चरों ने बरबाद कर दिया है.वहीं स्थानीय लोगो प्रशासन व अन्य स्वयं सेवी संस्थाओं का सामान मणिमहेश के लिए ढोने में जुटे हुए हैं जिसके लिए उनका पारिश्रमिक बाद में दिया जाएगा.जबकि उक्त प्रवासी लोग श्रद्धालुओं से मनमर्जी के पैसे मांग कर उन्हे मणिमहेश पहुंचा कर स्वार्थपूर्ण लाभ कमाने जुटे हैं.उन्होंने प्रशासनसे मांग की है कि इन लोगों के पास न तो प्रशासन की अनुमति न पुलिस वैरिफिकेशन प्रमाण पत्र है.ऐसे स्थानीय लोगों को इनसे खतरे का आभास होने लगा है.इन लोगों ने प्रशासन से जल्द प्रभावी कार्यवाही करने की मांग की है.