चुराह शिक्षक छेड़छाड़ मामला: शिक्षिका पर भद्दे कमेंट कर रहे सोशल मीडिया यूजर्स, सामने आई लोगों की ‘गंदी सोच’

चुराह शिक्षक छेड़छाड़ मामला: शिक्षिका पर भद्दे कमेंट कर रहे सोशल मीडिया यूजर्स, सामने आई लोगों की ‘गंदी सोच’

हिमाचल प्रदेश के चम्बा जिले के चुराह क्षेत्र से शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। थाना तीसा के अंतर्गत आने वाले एक सरकारी स्कूल में एक महिला शिक्षक ने अपने सहयोगी टीजीटी शिक्षक पर छेड़छाड़ और मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया है। महिला शिक्षिका ने शनिवार को तीसा पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करवाई, जिसमें बताया गया कि आरोपी पिछले दो सालों से बहानेबाज़ी कर कार्यालय के काम के बहाने उसे मानसिक रूप से परेशान करता आ रहा था। पीड़िता के अनुसार, जब वह स्कूल में अकेली होती थी तो आरोपी बार-बार उसके पास आता था और अंततः छेड़छाड़ तक पहुंच गया। शिकायत के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और छानबीन शुरू कर दी है।

सोशल मीडिया पर घटिया मानसिकता का प्रदर्शन, महिला की नीयत पर उठे सवाल

इस घटना को हिमाचल दस्तक द्वारा रिपोर्ट किए जाने के बाद फेसबुक पर कई यूज़र्स ने बेहद आपत्तिजनक और महिला विरोधी टिप्पणियां की हैं। लोगों ने पीड़िता पर ही सवाल उठाने शुरू कर दिए – “दो साल तक क्यों नहीं बोला?”, “पहले **जा फिर सज़ा?”, “अब जब पकड़ गई तो रिपोर्ट कर दी?”, जैसी बातें आम हो गईं।

नारी विरोधी टिप्पणियों से भरा कमेंट सेक्शन: नाम और सोच दोनों उजागर

यहां कुछ प्रमुख कमेंट्स और उनके नाम जो महिला की पीड़ा को नज़रअंदाज कर, उसे ही दोषी ठहरा रहे हैं:

  • Chetu Mogi: “2 साल से अच्छा, आज बनी सती साबीत्री”
  • Shiv Simran: “पकड़ा गया होगा, इसलिए फंसा दिया”
  • Mukesh Sharma: “पहले *** फिर सजा”
  • Sanju Sharma: “2 साल की कॉल डिटेल निकालो, दूध का दूध होगा”
  • Pushpa Thakur: “स्कूल में यौन उत्पीड़न समिति है, फिर शिकायत क्यों नहीं की?”
  • D S Thakre: “आजकल पैसे कमाने का तरीका है ये”
  • Aman Thakur: “पहले **** कर लिया, अब झूठा आरोप”
  • Sunil Thakur: “अब समझ आया नजर कैसी थी”
  • Ravi Verma: “प्रमोशन नहीं हुआ होगा, इसलिए केस कर दिया”

कुछ आवाजें न्याय की भी, लेकिन शोर में दबती दिखीं

हालांकि कुछ यूज़र्स ने पीड़िता का समर्थन भी किया और कहा कि समाज में महिलाओं को तुरंत शिकायत करने से रोकने वाला डर ही सबसे बड़ी बाधा है।

  • Bhupinder Singh Jasrotia ने लिखा, “कई बार औरतें बेइज्जती के डर से चुप रहती हैं, लेकिन जब पानी सिर से ऊपर हो जाए तो मजबूरी में सामने आना पड़ता है।”
  • वहीं Sudesh Sharma ने लिखा, “ऐसे शिक्षकों पर मशीन चलनी चाहिए ताकि नपुंसक हो जाएं।”

खुलेआम पीड़िता को दोषी ठहराना एक खतरनाक मानसिकता

महिलाओं के साथ हो रहे यौन उत्पीड़न के मामलों में सोशल मीडिया पर खुलेआम पीड़िता को दोषी ठहराना न सिर्फ एक खतरनाक मानसिकता को दर्शाता है, बल्कि समाज के उस हिस्से को उजागर करता है जो अपराधियों से ज़्यादा पीड़ितों को कसूरवार मानता है। यह मामला अब पुलिस जांच में है और कानून के अनुसार कार्रवाई होगी। लेकिन समाज को आत्मचिंतन करने की ज़रूरत है कि हम पीड़िता को न्याय दिलाने में साथ दें या उसे शर्मिंदा करके खामोश रहने पर मजबूर करें।