जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने न सिर्फ 26 निर्दोष जानें लीं, बल्कि कई परिवारों की दुनिया भी उजाड़ दी। लेकिन इस त्रासदी में एक नाम ऐसा भी है जिसने आतंक के सामने अद्भुत साहस दिखाया — सैयद आदिल हुसैन शाह, जो घुड़सवारी करवा कर अपने परिवार का पेट पालता था, लेकिन हमले के वक्त उसने इंसानियत का ऐसा उदाहरण पेश किया जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।
🐎 घुड़सवारी कराकर कमाता था रोज़ी
सैयद आदिल हुसैन शाह पेशे से घुड़सवार था। पहलगाम के बाइसारन मेडोज में वह रोज़ाना पर्यटकों को घोड़े पर बैठाकर वादियों की सैर कराता था। यही उसकी रोज़ी-रोटी थी। उसी दिन भी वह पर्यटकों के एक समूह को घोड़े की सवारी करवा रहा था, जब आतंकियों ने हमला कर दिया।
🛡️ पर्यटक को बचाते हुए दी जान
गोलियों की बौछार के बीच आदिल ने घोड़े से उतरकर पर्यटक को बचाने की कोशिश की। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, उसने खुद को आगे कर दिया ताकि पर्यटक बच सके। उसके पास कोई हथियार नहीं था — केवल एक दिल था जो डर को नहीं मानता था।
🧓 “मेरा बेटा घोड़े चलाकर पेट पालता था…”
आदिल के पिता सैयद हैदर शाह ने कहा, “मेरा बेटा हमारे परिवार का इकलौता सहारा था। घोड़े चलाता था, वही कमाता था। हम गरीब लोग हैं, अब क्या करेंगे?”
आदिल की मां का भी रो-रो कर बुरा हाल है, “वह सुबह घोड़े के साथ निकला था… शाम को लाश बनकर लौटा।”
🏠 पीछे छूट गया परिवार, पत्नी और छोटे बच्चे
आदिल अपने पीछे पत्नी और छोटे बच्चों को छोड़ गया है। वह परिवार की रीढ़ था। उसके चाचा ने बताया कि अब पूरा परिवार बेसहारा हो गया है, “हम सरकार से अपील करते हैं कि आदिल को शहीद का दर्जा मिले और उसके बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी ली जाए।”
🕊️ “यह कश्मीरियत पर हमला है”
स्थानीय लोग इसे कश्मीरियत पर हमला बता रहे हैं। मोहिद्दीन शाह ने कहा, “आदिल ने एक हिंदुस्तानी पर्यटक की जान बचाने की कोशिश की। क्या यही उसकी सजा थी? क्या आतंक अब कश्मीरी मुसलमानों को भी नहीं छोड़ता?”