शिमला — हिमाचल प्रदेश के बिजली बोर्ड कर्मचारियों ने सोमवार को अपनी मांगों को लेकर प्रदेशभर में जोरदार प्रदर्शन किया। शिमला सहित सभी जिलों में बिजली विभाग के दफ्तरों के बाहर जुटे सैकड़ों अभियंता, कर्मचारी, तकनीकी कर्मचारी और पेंशनर्स ने अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ रोष प्रकट किया। ज्वाइंट फ्रंट ने प्रदेश सरकार को 15 दिन का अल्टीमेटम देते हुए स्पष्ट कर दिया है कि यदि इस अवधि के भीतर उनकी मांगों को नहीं माना गया, तो वे “टूल डाउन” और “पेन डाउन” जैसे सख्त कदम उठाने से भी पीछे नहीं हटेंगे। साथ ही, वर्क टू रूल अगले 15 दिन तक जारी रहेगा।
शिमला मुख्यालय में ज्वाइंट फ्रंट का नेतृत्व
ज्वाइंट फ्रंट के नेतृत्व में यह आंदोलन प्रदेश के विभिन्न बिजली दफ्तरों में व्यापक रूप से आयोजित किया गया। शिमला स्थित कुमार हाउस में बड़ी संख्या में कर्मचारी और पेंशनर्स एकत्रित हुए। ज्वाइंट फ्रंट के संयोजक ईं. लोकेश ठाकुर और सह-संयोजक हीरा लाल वर्मा के नेतृत्व में इस विरोध प्रदर्शन को गति मिली। पेंशनर फोरम के टी.आर. गुप्ता और पूर्व संयोजक ईं. सुनील ग्रोवर भी इस आंदोलन में शामिल हुए और कर्मचारियों को अपना समर्थन दिया।
ईं. लोकेश ठाकुर ने कहा, “हमने आंदोलन को फिलहाल 15 दिनों के लिए टालने का निर्णय लिया है, क्योंकि त्यौहारों का समय है। लेकिन सरकार को चेतावनी देना आवश्यक है कि अगर इस दौरान हमारी मांगे पूरी नहीं हुईं, तो कर्मचारियों का धैर्य जवाब दे सकता है और वे बड़े संघर्ष की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।”
मांगों की अनदेखी पर कर्मचारियों में रोष
ज्वाइंट फ्रंट के नेताओं का कहना है कि सरकार ने इस कार्यकाल के दौरान पहले अस्थाई प्रबंधन से विभाग का संचालन किया। अब जब नियमित अधिकारियों को नियुक्त किया गया है, तो सरकार ने एक कैबिनेट सब कमेटी का गठन कर दिया है। कर्मचारियों का आरोप है कि इस सब कमेटी की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता की कमी है और यह कर्मचारियों के हितों के विरुद्ध काम कर रही है। ज्वाइंट फ्रंट का दावा है कि सब कमेटी सरकार के कुछ छिपे हुए एजेंडों को लागू करने का प्रयास कर रही है, जो विभाग के कर्मचारियों के हित में नहीं है।
ज्वाइंट फ्रंट के प्रतिनिधियों ने यह भी आरोप लगाया कि सब कमेटी की सिफारिशों के आधार पर पिछले दिनों 51 इंजीनियरों के कार्यात्मक पद समाप्त कर दिए गए, साथ ही 81 आउटसोर्स ड्राइवरों की सेवाओं को भी समाप्त कर दिया गया। इन फैसलों ने कर्मचारियों के बीच और अधिक असंतोष पैदा किया है।
टूल डाउन स्ट्राइक की चेतावनी
कर्मचारियों ने एकजुट होकर सरकार को कड़े शब्दों में चेतावनी दी है कि यदि आगामी 15 दिनों में सरकार ने उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया तो वे टूल डाउन स्ट्राइक करेंगे। इसके साथ ही वर्क टू रूल अभियान को भी निरंतर जारी रखने का निर्णय लिया गया है। कर्मचारियों की प्रमुख मांगों में प्रमोशन, वेतनमान में सुधार और आउटसोर्स कर्मचारियों की सेवाओं का स्थायित्व शामिल है।
इस अवसर पर कर्मचारियों ने नारेबाजी करते हुए कहा कि यदि सरकार ने उनकी मांगों को अनसुना किया तो इसका परिणाम उसे भुगतना पड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि बिजली विभाग के कर्मचारी अपनी मेहनत और कड़ी मेहनत से पूरे प्रदेश को रोशनी देते हैं, लेकिन उनकी खुद की स्थिति दयनीय है।
त्योहारी सीजन में सरकार पर दबाव
त्योहारी सीजन के मद्देनजर कर्मचारियों ने अभी तो आंदोलन को टालने का फैसला किया है, लेकिन सरकार पर दबाव बनाने की तैयारी कर ली है। सरकार के पास अब केवल 15 दिन का समय है। इस बीच कर्मचारियों का कहना है कि वे एक जिम्मेदार नागरिक की भूमिका निभा रहे हैं और त्योहारी सीजन को ध्यान में रखते हुए ही आंदोलन को टाल रहे हैं, लेकिन इसके बाद वे किसी भी प्रकार का संघर्ष करने के लिए तैयार हैं।
कर्मचारियों की प्रमुख मांगें
ज्वाइंट फ्रंट ने सरकार के समक्ष प्रमुख मांगे रखी हैं, जिसमें स्थायी भर्ती, प्रोन्नति में पारदर्शिता, आउटसोर्स कर्मचारियों का स्थायित्व, और समयबद्ध वेतनमान आदि शामिल हैं।
प्रदर्शन के अंत में ज्वाइंट फ्रंट ने सभी कर्मचारियों को एकजुट रहने और संघर्ष में साथ देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में यदि उनकी मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो वह बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन करेंगे।