रोजाना24, चम्बा 11 अप्रैल : स्वयं सेवी कार्तिक मंदिर के अंदरोल खुलने के अवसर पर 4 हजार श्रद्धालुओं के लिए भोजन का करेंगे प्रबंध। 14 अप्रैल को प्रसिद्ध कार्तिक मंदिर कुगति के द्वार श्रद्धालुओं के लिए खुलने वाले हैं । इस अवसर पर हजारों श्रद्धालु इस मंदिर में पुजा अर्चना हेतु पहुंचते हैं ।
कस्बे से करीब तीस किमी दूर इस मंदिर तक पहुंचने के लिए करीब 4 किमी पैदल यात्रा करनी पड़ती है। इस यात्रा से थके श्रद्धालुओं के भोजन या अल्पाहार प्राप्त करने के लिए के आस पास कोई बाजार नहीं है । अस्थाई व अल्पावधि के लिए खुलने वाली कुछ दुकानों पर पूजा सामग्री व कुछ स्नैक्स तो मिल जाते हैं लेकिन एक साथ इतनी बड़ी संख्या में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए भोजन की व्यवस्था मुश्किल कार्य है। ऐसे में स्थानीय स्वयंसेवियों ने इस समस्या के समाधान के लिए हर वर्ष मंदिर कपाट खुलने के अवसर पर भंडारा लगाने की परम्परा शुरू की है। धरकौता गांव के स्वयंसेवी तिलक राज शर्मा की देखरेख में स्थानीय स्वयंसेवी हर वर्ष हजारों श्रद्धालुओं के भोजन की व्यवस्था करते आये हैं।
तिलक राज शर्मा ने कहा कि इस वर्ष भी करीब चार हजार से अधिक लोगों के भोजन की व्यवस्था की गई है्। उन्होंने कहा कि भंडारे के लिए सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। 14 अप्रैल को कार्तिक देवता के आशीर्वाद के बाद श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण कर सकेंगे।
गौरतलब है कि मंदिर खुलने के दौरान हजारों श्रद्धालु कुगति स्थित इस मंदिर में पहुंचते हैं। श्रद्धालुओं की अधिक संख्या होने के कारण मंदिर परिसर में लोगों के खड़े होने तक के लिए स्थान कम पड़ जाता है। श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े इसके लिए स्थानीय विधायक डॉ जनक राज ने प्रशासन को भरमौर से कार्तिक मंदिर तक व्यवस्थाएं तैयार करने के निर्देश दे रखे हैं। विधायक ने कहा कि वे 14 फरवरी को वे स्वयं मंदिर पहुंच कर प्रशासनिक व्यवस्थाओं का जाएजा लेंगे।
मंदिर के पुजारी दलीप कुमार, किसो,अशोक,वकील,अश्वनी आदि का कहना है कि स्वयं सेवियों की मदद से मंदिर परिसर के आसपास सफाई करवा दी गई है। उन्होंने मंदिर के किवाड़ खोलने की मान्यता के बारे में बताया कि कार्तिक देवता जिन्हें गाद्दी बोली में केलंग वजीर कहा जाता है के मंदिर को हर वर्ष 30 नवम्बर को सामान्य पूजा अर्चना के लिए बंद कर दिया जाता है जिसे फिर 14 अप्रैल संक्राति के दिन फिर से आम व खास श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है। इस अवधि में कोई भी व्यक्ति इस दैवीय घाटी में प्रवेश नहीं करता और प्रकृति इस दौरान अपने क्षेत्र के जीर्णोद्धार कार्य को पूरा करती है। मंदिर किवाड़ बंद करने के दौरान केलंग वजीर प्रतिमा के सम्मुख ताम्र पात्र में जल भर कर रख दिया जाता है । मंदिर खोलने पर पात्र में बचे जल की मात्रा से वर्ष भर के मौसम का पूर्वाअनुमान लगाया जाता है। पात्र भरा होने पर औसत से अधिक वर्षा व पात्र के खाली होने पर सूखा होने की सम्भावना मानी जाती है। वर्षों से चली आ रही परम्पराओं व मान्यताओं के इर्दगिर्द इस जनजातीय क्षेत्र के लोगों की जीवनचक्र चलता है।