नल से अंतड़ियां निकलने की घटना के बाद पेयजल भंडारों की हुई सफाई,विभाग ने जारी की एडवाइजरी

रोजाना24, चम्बा 14 जुलाई : गत दिवस भरमौर उपमंडल मुख्यालय के गोरपटा नामक गांव में पेयजल कनेक्शन से किसी जानवर की अंतड़ियां निकलने की घटना के उपरांत आज जलशक्ति विभाग ने जानकारी देते हुए कहा है कि नड्ड नामक स्थान पर स्थित पेयजल भंडारों की सफाई कर विभाग ने यहां निरंतर ब्लीचिंग पाऊडर मिक्सिंग इकाई स्थापित की है।

विभागीय सहायक अभियंता विवेक चंदेल की अगुआई में कर्मचारियों ने नड्ड नामक स्थान पर पेयजल भंडारों की साफ-सफाई के कार्य को अंजाम दिया। सहायक अभियंता ने कहा कि उनके कार्यालय के संज्ञान में आया  है कि किसी निजी उपभोक्ता के नल में जो जानवरों की आंत  पाई गई है इस घटना को ध्यान में रखते हुए उन्होंने अन्य फील्ड स्टाफ के साथ साइट निरीक्षण किया गया । निरीक्षण के दौरान  जलापूर्ति योजना भरमौर में यह पाया गया कि अर्जुन कुमार उपभोक्ता के नल में आने वाले अवशेष भरमाणी माता मंदिर में होने वाले जागराते के दौरान होने वाली विभिन्न पारंपरिक गतिविधियों के कारण पहुंचा है। विभाग ने सम्भावना व्यक्त की है कि कुछ शरारती तत्वों ने प्राकृतिक स्रोत के आस-पास मांस को धोया है। जिस दौरान अवांछित मांस का हिस्सा पेय जलापूर्ति लाईन में चला गया हो। भरमाणी स्रोत का यह जल भरमौर जलापूर्ति प्रणाली  में सीधे प्रवेश कर जाता है। यहां स्थित पानी के सोते से पीने योग्य पानी को सीधे एक टैंक के माध्यम से जल आपूर्ति प्रणाली में डाल दिया जाता है, जबकि नाला स्रोत को नड्ड नामक स्थान में स्थित फिल्टर बेड से फिल्टर किया जाता है।

उन्होंने कहा कि भरमाणी माता मंदिर के पास विभाग के तीन इंटेक यहां स्थित किचन शेड के ठीक नीचे स्थित है जहां भोजन आदि तैयार किया जाता है।

मंदिर परिसर में होने वाली धार्मिक गतिविधियों व यात्रियों के स्नान आदि के कारण होने वाले जल प्रदूषण पर काबू पाने के लिए  विभाग सार्वजनिक एडवायजरी जारी कर रहा है कि भरमाणी माता इंटेक के पास स्थित पानी के स्रोत को दूषित न करें यदि कोई व्यक्ति इस प्रकार की गतिविधियां करते पाया जाता है तो उसके विरुद्ध जल प्रदूषण अधिनियम 1997 के तहत कार्रवाई की जाएगी।

गौरतलब है कि भरमाणी स्थित पेयजल स्रोत से भरमौर विकास खंड की पांच ग्राम पंचायतों को पेयजलापूर्ति की जाती है। इस स्रोत से निकलने वाले पानी को नड्ड नामक स्थान पर संग्रहित कर उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जाता है। यात्रियों के स्नान के कारण पानी में गंदगी व घातक बैक्टीरिया मिल जाते हैं जोकि विभाग के टैंकों से होकर उपभोक्ताओं के गिलास में पहुंच जाते हैं। विभाग अगर इस समस्या का स्थाई हल नहीं निकालता तो मणिमहेश यात्रा के दौरान लोग जलजनित रोगों का शिकार हो सकते हैं।