रोजाना24,चम्बा,25 मई : भरमौर उपमंडल का लाहल गांव जिसकी प्यास बुझाने के लिए पूरे जिला में सबसे अधिक पेयजल योजनाएं बनी हैं लेकिन हालात यह हैं कि लोग फिर भी पेयजल के लिए तरस रहे हैं। गांव के लोग पेयजल के लिए दूर दूर के प्राकृतिक जल स्रोतों से पेयजल की पूर्ति कर रहे हैं। गांव के अनिल चौहान का कहना है कि लाहल गांव का अपना प्राकृतिक जल स्रोत था जिसे बुढ्ढल जलविद्युत परियोजना लील गई । जिसके बाद गांव के लिए पेयजलापूर्ति के लिए दिनका,सचूईं,प्रंघाला नाला,अगासन नाला से पाईप लाईनें बिछाई गईं हैं। इसके अलावा विद्युत परियोजना कम्पनी की ओर से हर रोज टैंकर द्वारा पानी मुहैया करवाने की व्यवस्था है हालांकि लोगों का कहना है कि वह भी तीसरे दिन पानी देता है। जब इन छः योजनाओं से भी गांव को जरूरत का पानी न मिला तो सरकार ने बुढ्ढल नदी से उठाऊ पेयजल योजना का निर्माण कार्य शुरू किया ।लेकिन पिछले कई माह से इस योजना का कार्य भी अधर में अटका है।
इन तमाम योजनाओं के बावजूद लाहल गांव के लोग पानी के लिए परेशान हैं। गांव के कुछ लोगों का कहना है कि अप्पर लाहल के पास बने टैंक की लाईन से मात्र 250 मी. लम्बाई की अतिरिक्त लाईन गांव के एक हिस्से तक पहुंचा दी जाए तो समस्या का कुछ समाधान हो सकता है।
इस बारे में विभागीय कनिष्ठ अभियंता लाहल की माने तो गांव को एक दिन के अंतराल में पेयजल आपूर्ति की जा रही है। लेकिन रात भर पेयजल भंडारित करने के लिए बंद किए गए वाल्वों को गांव के कुछ लोग कर उसे अपने खेतों में अवैध रूप से सिंचाई व निर्माण कार्य के लिए उपयोग कर रहे हैं जिससे टैंक खाली हो जाता है। उन्होंने कहा कि कई बार लोगों को चेतावनी देकर छोड़ा भी गया है लेकिन अब ऐसी घटना होने पर पुलिस में मामला दर्ज करवाया जाएगा। उन्होंने कहा कि पेयजल टैंक अगर रात को अवैध रूप खाली न किए जाएं तो गांव के लिए पर्याप्त पानी मिल सकता है।
गौरतलब है कि भरमौर उपमंडल में लाहल एकमात्र गांव है जहां लोग खेतों में सब्जी उत्पादित कर लोगों की जरूरतों को कुछ हद तक पूरा करता रहा है। लेकिन सिंचाई जल के अभाव में इस गांव से सब्जी उत्पादन केवल परिवारिक उपभोग तक सीमित हो गया है।
बहरहाल कागजों पर बनी इन करोड़ों रुपयों की लागत वाली योजनाओं से पानी क्यों नहीं टपक रहा जबकि लाखों गैलन पानी यहां के प्राकृतिक स्रोतों से बेजा ही बह रहा है,जिसका उपयोग पीने के साथ साथ सिंचाई के लिए भी हो सकता है।लेकिन इसका जबाव किसी से देते नहीं बन रहा।
विभाग व उपभोक्ताओं के तर्कों के बीच लोग पानी के लिए तरस रहे हैं यह एक तथ्य है।