जिस पंचायत में मिलेंगे बेसहारा पशु उस पंचायत के नाम से लगेगा टैग.

रोजाना24,चम्बा : भरमौर क्षेत्र की सड़कों पर दर्जनों मवेशी बेसहारा घूम रहे हैं.जिस कारण वाहन चालकों व पैदल रहगीरों को तो आवाजाही की समस्या है ही इससे हिन्दूओं की धार्मिक भावनाएं भी आहत हो रही हैं.

चम्बा भरमौर राष्ट्रीय राजमार्ग 154 ए पर खड़ामुख से लेकर राख तक बेसहारा पशु सड़कों पर घूमते देखे जा सकते हैं.यह संख्या शीतकाल आते आते लगातार बढ़ती रहती है.ग्राम पंचायत उल्लांसा के अंतर्गत आने वाले खड़ामुख नामक स्थान के आसपास आजकल काफी गोवंश बेसहारा घूम रहा है.पशुपालन विभाग द्वारा इन मवेशियों को टैग भी लगाए गए हैं.लोग इनके माध्यम से सड़क पर घूमते इन पशुओं को उनके मालिक तक पहुंचाना चाहते हैं लेकिन स्थानीय लोगों को इनके मालिक का पता नहीं चल पा रहा था.लोगों ने जब इस बारे में पशुपालन विभाग से टैग लगे पशुओं के बारे में जानकारी मांगी तो पता चला कि यह पशु ग्राम पंचायत उल्लांसा के नाम से ही पंजीकृत किए गए हैं.

सहायक निदेशक भेड़ विकास सतीश कपूर ने कहा कि पूरे क्षेत्र में बेसहारा पशुओं को टैग लगाए जा रहे हैं.जिस भी पंचायत में यह पशु खुले में मिलेंगे उन्हें उसी पंचायत के नाम से टैग लगाया जाएगा.उन्होंने कहा कि खड़ामुख में करीब सात मवेशियों को ग्राम पंचायत उल्लांसा के तहत पंजीकृत किया गया है लिहाजा अब उन्हें सम्भालना ग्राम पंचायत की जिम्मेदारी रहेगी.

उधर इस बारे में ग्राम पंचायत उल्लांसा की प्रधान कुशला देवी के अनुसार का कहना है कि वे इन बेसहारा पशुओं को गौसेवा सदन लाहल के हवाले करने जा रही हैं.उन्होंने कहा कि इन मवेशियों को आज ही गोसदन भेजा जाएगा.पशुओं को गेंद की तरह एक दूसरे के पाले में डालने की अगली कड़ी में गौसेवा सदन की जिम्मेदारी सम्भाल रहे शिवभूमि सेवा दल के प्रधान संजीव कुमार ने कहा कि अभी गौसदन के पास अतिरिक्त पशुओं को रखने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है.अगर वहां बन रहे शैड को सेवादल के हवाले किया जाता है तो वे सीमित संख्या में बेसहारा पशुओं को आश्रय देने की स्थिति में आ जाएंगे.उन्होंने कहा कि अतिरक्त पशुओं की जिम्मेदारी सम्भालने सम्बंधी फैसला 27 सितम्बर दिन रविवार को सेवादल की सामान्य बैठक के निर्णय पर निर्भर करेगा.

गौरतलब है कि क्षेत्र में घूम रहे दर्जनों बेसहरा पशु गर्म मौसम में लोगों की फसलों को नुक्सान पहुंचाते हैं व सड़कों पर यातायात बाधित करने के साथ साथ कई बार वे वाहनों की चपेट में आकर घायल भी हो जाते हैं.जबकि वर्फबारी के मौसम में यह गौवंश सड़कों पर ठिठुरता दिखजाता है.जिस कारण गोवंश से जुड़ी लोगों की भावनाएं भी आहत होती हैं.

वर्षों से चली आ रही इस समस्या का समाधान प्रशासन के पास नहीं दिख रहा.प्रशासन ने बेसहारा पशुओं को मौजूद पंचायतों के नाम पंजीकृत करने के निर्देश दे रखे हैं लेकिन पंचायतें इन्हें अपने पास रखने को तैयार नहीं हैं.पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि उने पास न तो बेसहारा पशुओं को रखने की जगह है व न ही व्यवस्था.किसी भी आवारा पशु को उस पंचायत के नाम पंजीकृत करने का निर्णय गलत है क्योंकि इससे गांव के लोग पशुओं को दूसरी पंचायतों में हांकते रहेंगे.

उपमंलाधिकारी भरमौर मनीष सोनी ने इस विषय पर कोई टिप्पणी नहीं दी है.