उपायुक्त के दखल से वर्षों बाद निराश्रित बच्चों को मिला जन्म प्रमाण पत्र

रोजाना24,ऊनाः आवश्यक कागजात के अभाव में सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित निराश्रित चार बच्चों की समस्या का पहला पड़ाव पार हो गया है। लंबी प्रक्रिया तथा पेचीदगियों को दूर करते हुए बच्चों को अब जन्म प्रमाण पत्र हासिल हो पाया है। जिला पंचायत अधिकारी ऊना रमण कुमार शर्मा ने उन्हें जन्म प्रमाण पत्र प्रदान कर दिया है। अब उन्हें कुछ औपचारिकताओं को पूरा करने के उपरांत फोस्टर केयर योजना के तहत मिलने वाले लाभ प्राप्त हो सकेंगे।यह मामला ग्राम पंचायत समूर कलां का है, जहां चार नाबालिग निराश्रित बच्चे अपने मामा-मामी के यहां रहते हैं। सभी बच्चे सरकार की फोस्टर केयर योजना के लिए पात्र हैं लेकिन किसी के पास भी बर्थ सर्टिफिकेट नहीं था, इसके अलावा आधार कार्ड पर भी पिता का नाम अलग-अलग था। यही वजह थी कि सही कागजात न होने के चलते औपचारिकताएं पूरी नहीं हो पा रही थी और बच्चे लाभ से वंचित थे। मामला उपायुक्त ऊना संदीप कुमार के संज्ञान में आया तो उन्होंने इसे सुलझाने के आदेश दिए, ताकि बच्चों को उनका अधिकार मिल सके। जिला पंचायत अधिकारी रमण कुमार शर्मा ने कहा “जन्म प्रमाण पत्र परिवार को प्रदान कर दिए गए हैं। लेकिन यह मामला इसलिए पेचीदा था क्योंकि आधार कार्ड पर पिता का नाम अलग-अलग था। इसलिए जन्म प्रमाण पत्र बनवाकर आगे की कार्रवाई की जाएगी। जन्म प्रमाण पत्र बनाने के लिए सीएमओ ऊना को आवेदन किया गया। जिसके बाद तहसीलदार को जन्म प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया गया। उचित कार्यवाही करने के बाद तहसीलदार ने आदेश पारित किए, जिसके बाद जन्म प्रमाण पत्र बनाए गए।“बच्चों का घर बिलासपुर जिला के नैनादेवी खंड में पड़ता है तथा वह अब अपने मामा के पास समूर कलां में रहते हैं। इस संबंध में जिला बाल संरक्षण अधिकारी ऊना शाम कुमार मल्होत्रा ने बताया कि अब जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर सभी बच्चों के आधार कार्ड अपडेट करवाए जाएंगे, ताकि उनमें कोई त्रुटि न रहे। उन्होंने स्वयं परिवार के साथ बात की है और नए आधार कार्ड बनने के बाद योजना की कुछ औपचारिकताएं पूरी करनी होंगी, जिसके बाद बच्चों के फोस्टर केयर योजना का लाभ मिलेगा। उपायुक्त ऊना संदीप कुमार ने कहा कि मामला उनके संज्ञान में आया था। बच्चे फोस्टर केयर योजना के लाभार्थी हैं, लेकिन कागजात त्रुटिपूर्ण होने की वजह से उन्हें दिक्कत पेश आ रही थी। फोस्टर केयर योजना के तहत सरकार निराश्रित बच्चों के अभिभावकों को 2300 रुपए प्रति माह प्रति बच्चा की सहायता देखभाल के लिए देती है। दो हजार रुपए अभिभावक के बैंक अकाउंट में जाते हैं, जबकि 300 रुपए की एफडी बच्चे के नाम पर बनाई जाती है। सरकार की यह सहायता 18 वर्ष की आयु पूर्ण होने तक प्रदान की जाती है।