रोजाना24,चम्बा : कोरोना वायरस ने देश को आर्थिक ही नहीं बल्कि धार्मिक व सांस्कृतिक स्तर पर भी काफी हानि पहुंचाई है.कोरोना वायरस के कारण लॉकडाऊन के कारण धार्मिक व सांस्कृतिक गतिविधियों के सार्वजनिक आयोजन पर बंदिश लगी हुई है.मेले हमारी धार्मिक व संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रहे हैं.दशकों से कभी ऐसा मौका नहीं आया है कि कोई मेला रद्द किया गया हो.
चूंकि लोगों की भीड़ के बिना मेले की कल्पना ही नहीं की जा सकती.अगर भीड़ बढ़ी तो कोरोना का खतरा बढ़ेगा इसलिए सरकार ने मेलों के आयोजन पर भी पाबंदी लगा रखी ही है.समय ज्यों-ज्यों आगे बढ़ रहा है त्यों त्यों क्षेत्र के प्रसिद्ध त्योहार व मेले भी आ रहे हैं व उनके आयोजन रद्द हो रहे हैं.ऊना का पिपलू के रद्द करने के आदेश पहले ही जिला प्रशासन जारी कर चुका है,कांगड़ा के नागणी मेले भी बंद हैं इसके बाद जनजातीय क्षेत्र भरमौर का पहला मेला जोकि होली ठीक के तियारी गांव के पटोला नामक स्थान पर मनाया जाता है,रद्द हो गया.
मेला कमेटी सदस्यों ने मेले के प्रतीक के रूप में कुल देवी खणीणी के मंदिर में पूजा अर्चना कर मेला स्थल पर ध्वजारोहण किया.
कमेटी सचिव दीप कुमार ने कहा कि कोरोना से जंग जीतना हमारा पहला कार्य है.हर वर्ष जून माह के दूसरे सप्ताह में गेंहू की फसल पकने के उपलक्ष्य पर मनाए जाने वाले व कुल देवी खणीणी को समर्पित इन तीन दिवसीय मेलों का आयोजन इस वर्ष नहीं किया जा रहा है.उन्होंने कहा कि इस बार मेला स्थल पर केवल पूजा अर्चना कर प्रतीकात्मक ध्वज लगाया गया है.उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस का कहर समाप्त होने के बाद इसे अगले वर्ष धूमधाम से मनाया जाएगा.
गौरतलब है कि अभी विश्व प्रसिद्ध मिंजर मेला व मणिमहेश यात्रा भी अगस्त माह में होने वाली है.अगर इस अवधि में कोरोना का पर काबू न हुआ तो लॉकडाऊन के कारण इन दो बड़े आयोजनों पर भी रोक लग जाएगी.हालांकि सरकार व जिला प्रशासन ने अभी इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है.