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मधुमक्खी के डंक ने दिखाया स्वरोजगार का मिठास भरा रास्ता.

रोजाना24,ऊना : मधुमक्खियों के 10 बक्सों के साथ शुरूआत करने वाले बंगाणा उपमंडल के तरेटा निवासी संजय कुमार आज जिला ऊना के अग्रणी मधुमक्खी पालक बनकर लाखों रुपए कमा रहे हैं। सरकार की योजना तथा अपने परिश्रम के नतीजों से उत्साहित संजय के पास अब 74 बॉक्स हो गए हैं। डेढ़ साल पहले संजय ने मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में उतरने का फैसला किया। खादी बोर्ड से सब्सिडी पर 10 बॉक्स लिए और उसके साथ-साथ ट्रेनिंग भी ली। 34 वर्षीय संजय कुमार ने कहा “परिवार के अन्य सदस्य भी मधुमक्खी पालन में मदद करते हैं, जिससे काम आसान हो जाता है। काम में सफलता मिलने के बाद रुचि पैदा होती गई और अपने काम को आगे बढ़ाया भी। आज मधुमक्खी पालन के माध्यम से अच्छी आमदनी हो रही है।”वर्ष 2018 में जय राम सरकार ने मुख्यमंत्री मधु विकास योजना का आरंभ किया तो यह योजना संजय जैसे अनेक मधुमक्खी पालकों के लिए वरदान बन गई। संजय को कुल 1.60 लाख रुपए का अनुदान प्राप्त हुआ, जिसमें मधुमक्खियों के साथ-साथ जरूरी उपकरणों के लिए सब्सिडी मिली। बागवानी विभाग के विशेषज्ञों की सलाह व सानिध्य में संजय का काम निरंतर बढ़ रहा है। संजय कुमार इस योजना के लिए मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर का विशेष रूप से धन्यवाद करते हैं। 

मुख्यमंत्री मधु विकास योजना का प्रारूप मुख्यमंत्री मधु विकास योजना के तहत हर ब्लॉक मुख्यालय पर विभाग की ओर से एक-एक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जाता है। स्वरोजगार के इच्छुक बागवानों के लिए प्रशिक्षण अनिवार्य है। बी कीपिंग यूनिट के लिए एक व्यक्ति को अधिकतम 50 यूनिट तक पर 80 फीसदी तक सब्सिडी बागवानी विभाग की ओर से दी जाएगी। किसान बक्से अपने स्तर पर भी ले सकते हैं। मौन पालन में प्रयोग होने वाले उपकरणों की खरीद के लिए प्रति व्यक्ति 16,000 रुपए दिए जाते हैं। 

सर्दियों में होती है माइग्रेशन इस व्यवसाय से जुड़े किसानों व बागवानों के लिए आवश्यक रूप से फूलों की आवश्यकता होती है। बागवानी विभाग बंगाणा के सर्किल इंचार्ज वीरेंद्र कुमार ने बताया “सर्दी के सीजन में मौन पालक हरियाणा, पंजाब तथा राजस्थान चले जाते हैं, ताकि वहां पर मधुमक्खियों के लिए फूलों की उपलब्धता हो सके। सर्दियां समाप्त होने पर यह वापस लौट आते हैं और आवश्यकता अनुसार सेब उत्पादन करने वाले क्षेत्रों में भी जाते हैं। सेब बागवान मधुमक्खी पालकों को 1000 रुपए प्रति बॉक्स तक प्रदान करते हैं, क्योंकि मधुमक्खियां पॉलीनेटर का काम करती है, जो फलों की पैदावार व गुणवत्ता बढ़ाने में मददगार होती हैं, साथ ही पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी हैं।

जिला में 54 मीट्रिक टन शहद का उत्पादन बागवानी विभाग ऊना के उप-निदेशक डॉ. सुभाष चंद ने बताया कि जिला में प्रति वर्ष 54 मीट्रिक टन शहद का उत्पादन होता है और कई परिवार इस व्यवसाय से जुड़कर आजीविका कमा रहे हैं। उन्होंने कहा कि विभाग मौन पालकों की हर प्रकार से सहायता करता है। उन्हें प्रशिक्षण प्रदान करता है और मधुमक्खी पालन में आने वाली हर परेशानी से निपटने में सहायता देता है। उन्होंने कहा कि अगर किसी भी किसान को मौन पालन में किसी प्रकार की समस्या पेश आए तो उन्हें वह विभाग के अधिकारियों के साथ संपर्क कर सकते हैं। 

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