रोजाना24,चम्बाः धरती का हरित आवरण बढ़ाने के लिए सरकार हर वर्ष करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। जमीनी स्तर पर हालात पर देखें तो लगता नहीं कि इस हरित आवरण का दायरा बढ़ा हो। कहीं विशेष अभियान चलाकर कर रोपे गए पौधे भी कामयाब नहीं हो पा रहे तो कहीं पौधों की नर्सरी ही जीवनदान मांग रही हैं।
चम्बा जिला के जनजतीय क्षेत्र भरमौर की ग्राम पंचायत औरा में भी वन विभाग की एक नर्सरी है जहां चीड़,कैल,कायल,अखरोट,वान आदि के पौधे तैयार कर वन वहीन भूमि पर रोपे जाते रहे हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यह पौधशाला लावारिस पड़ी हुई है। पंचायत के सहल्ली गांव के पास वन विभाग की इस नर्सरी को गांव के मवेशी चर रहे हैं। नर्सरी की बाड़ टूट चुकी है व इसमें मौजूद बहुत से पौधे भी तहस नहस हो चुके हैं। पंचायत के लोगों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों से विभाग की पौधशाला में न तो कोई चौकिदार है व न ही कोई इसकी देखभाल करता है। जबकि इस ग्राम पंचायत व आस-पास की वन भूमि वृक्ष रहित है। क्षेत्र में अन्तिम पौधरोपण दो वर्ष पूर्व स्कूली बच्चों द्वारा किया गया था। नर्सरी में अभी भी सैकड़ों पौधे मौजूद हैं जिन्हें खाली वन भूमि में रोप दिया जाए तो काफी बड़े भू-भाग को हरा भरा बनाया जा सकता है। आने वाले बरसात के मौसम में लोग पौधरोपण के लिए वन विभाग से पौधों की मांग करेंगे तो विभाग बगलें झांकेंगे। उन्होंने मांग की है कि उक्त पौधशाला को पुनः चालू कर क्षेत्र में पौधारोपण किया जाए।
उधर इस बारे में विभागीय रेंज ऑफिसर राकेश शर्मा का कहना है कि विभाग ने यह नर्सरी अढ़ाई वर्ष पूर्व बंद कर दी है। जो पौधे यहां शेष रह गए थे उन्हे नर्सरी की भूमि में ही बड़ा होने के लिए छोड़ा गया है। अब भला पौधे कैसे कहें कि वे पौधे से पेड़ तभी बनेंगे जब वे मवेशियों से भी सुरक्षित रहेंगे ।