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फाईल खोलो सरकार ! 1231 बागवान कर रहे राहत का इंतजार.

रोजाना24,चम्बा : गत वर्ष फरवरी माह में हुए भारी हिमपात के कारण सेब के बगीचों की तबाही तो उनको भी याद होगी जो इस वर्ष भरमौर घूमने आए होंगे.क्योंकि टूटे हुए सेब के पेड़ तो हर कहीं दिख रहे थे.सरकार एक ओर लोगों को बागवानी के व्यवसाय के लिए प्रेरित कर रही है तो दूसरी ओर इस व्यवसाय से जुड़े बागवानों की समस्याओं की ओर पीठ मोड़े खड़ी दिखती है.सेब उत्पादन में अग्रणी भूमिका निभा रहे भरमौर क्षेत्र में बागवानों की बातों से तो यही लग रहा है कि सरकार केवल प्रचार प्रसार तक ही कार्य कर रही है.जबकि मुसीबत में फंसे बागवानों के लिए राहत दिलाने के लिए सरकार कुछ नहीं कर रही.

गत वर्ष भारी हिमपात के कारण भरमौर क्षेत्र में हजारों सेब व अन्य फलदार पौधे टूट गए थे.बागवानों ने प्रशासन व विभाग के माध्यम से सरकार को नुक्सान से अवगत करवाते हुए नुक्सान के लिए राहत राशी की मांग की थी.लेकिन सरकार की ओर से एक वर्ष बाद भी बागवानों को कोई राहत नहीं मिली है.

लोगों को बर्फवारी से टूटे हजारों सेब के पेड़ों को काटना पड़ा था.जिस कारण लोगों को इस वर्ष लाखों रुपयों का नुक्सान उठाना पड़ा था.बागवानी विभाग ने गांव गांव जाकर बागवानों के नुक्सान का आकलन भी किया था लेकिन यह आकलन अभी तक फाइलों में ही बंद पड़ा रहा है.

उद्यान विभाग के अनुसार भरमौर उपमंडल के 1231 बागवानों को उस हिमपात में करीब 8.55 करोड़ रुपये का नुक्सान हुआ था.जिसकी रिपोर्ट प्रशासन को सौंपी जा चुकी है.

उधर इस बारे में अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी भरमौर पीपी सिंह ने कहा कि विभाग द्वारा बागवानों के नुक्सान के आकलन रिपोर्ट फाईल सरकार को भेजी गई है.इस पर आगामी निर्णय सरकार को ही लेना है.अगर सरकार ने राहत राशी जारी कर दी तो इससे बागवानों को लाभ मिलेगा.

गौरतलब है कि बहुत से बागवान ऋण लेकर बागवानी कर रहे हैं.लेकिन बगीचे उजड़ जाने के बाद जहां उनके परिवार की आर्थिक स्थिति भी खराब हो गई है वहीं वे बैंक व अन्य लोगों से लिया ऋण भी नहीं चुका पा रहे हैं.बागवानों ने सरकार से मांग की है कि वे इस बजट में उनके नुक्सान के लिए राहत राशी की व्यवस्था करे.

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