मामले में पंजसेई गांव के लोगों को कार्य में बाधा पहुंचाने के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है.जबकि पंजसेई के लोगों का कहना है कि नाग मंदिर परिसर के वान वृक्षों को क्षति पहुंचाए बिना सड़क को परिसर के बाहर से बनाया जाना चाहिए.पंजसेई गांव के लोगों ने कहा कि इस सड़क से उन्हें कोई लाभ न होने के बावजूद उन्होंने सड़क निर्माण के लिए अपनी भूमि प्रदान की है.उनका कहना है कि गांव के पास वान वृक्षों का छोटा सा जंगल है जहां नाग देवता का प्राचीन मंदिर है.स्थानीय लोगों की नाग देवता में आस्था का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस वान के जंगल में गिरी सूखी लकड़ी तक को लोग घर नहीं ले जाते.ऐसे में यहां से सड़क निर्माण को लेकर उनकी भावनाएं आहत हो रही हैं.लेकिन सड़क के डंगे गिराने के प्रश्न पर ग्रामीणों का कहना है शायद यह नाग देवता की क्रोध से ही हुआ है.
जबकि सड़क की मांग करने वाले ग्रामीणों का कहना है कि सड़क का कार्य रोकने में पंजसेई गांव के अलावा अन्य किसी की रूची नहीं है.
सड़क के जंगलों को गिराए जाने के प्रश्न पर लोनिवि अधिशाषी अभियंता मनोज टंडन इस मामले में कुछ कहने से बचते रहे.उन्होंने कहा कि विभाग अभी अधिगृहित भूमि पर ही कार्य कर रहा है.मंदिर परिसर के पास स्थानीय लोगों ने कार्य किया है जिसे तोड़ने की कोई शिकायत भी विभाग के पास नहीं है.उन्होंने कहा कि सड़क निर्माण के लिए अभी अन्य लोगों से भी भूमि अधिगृहित की जानी शेष है.जब तक कि विभाग के पास उनका अनापत्ति पत्र नहीं पहुंच जाता विभाग कार्य नहीं कर सकता.
विभाग की टिप्पणी से जाहिर होता है कि इस सड़क के निर्माण में अभी सब कुछ ठीक नहीं है.पर्दे के पीछे कुछ ऐसा जरूर है जो कार्य शुरू व बंद करवाने का खेल खेल रहा है.