रोजाना24,चम्बा : भरमौर उपमंडल स्थित गौ सदन लाहल की कमान सम्भालने लेने के लिए बार दावा करने वाले स्थानीय संगठन शिव भूमि सेवा दल ने गौ सदन से मवेशियों को कांगड़ा जिला के कंदरोड़ी स्थित गौशाला ले जाने पर आपत्ति जताई है.सेवा दल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनिल शर्मा ने कहा कि संगठन ने यहां रखे मवेशियों के लिए आवश्यक चारे की व्यवस्था की है.उन्होंने कहा कि जब बर्फवारी को दौरान मवेशियों को चारा तक नहीं था तो संगठन ने कांगड़ा जिला से चारा खरीदकर बर्फ भरे रास्ते से ढोकर गोसदन तक पहुंचाया है.लेकिन अब प्रशासन इन्हें यहां से कंदरोड़ी भेज रहा है जो कि गलत है.उन्होंने कहा कि धरवाला,तरेला व भरमौर में अभी भी मवेशी बेसहारा घूम रहे हैं प्रशासन उन्हें कंदरोड़ी भेज सकता है.विरोध के बाद संगठन के पदाधिकारियों से मवेशियों को स्वस्थ रखेंगे इसके लिए प्रशासन ने संगठन से लिखित पत्र ले लिया है.
उपमंडलाधिकारी भरमौर मनीष सोनी ने कहा कि संगठन के पदाधिकारी मवेशियों को कांगड़ा जिला के कंदरोड़ी स्थित गो सदन ले दाने का विरोध कर रहे हैं.जिस पर प्रशासन ने संगठन से बिना किसी सरकारी फंड के गोसदन को सम्भालने का दावा प्राप्त किया है.उन्होंने कहा कि सदन में अभी दस बड़े मवेशी व एक बछड़ा है.जिनकी देखभाल की जिम्मेदारी उक्त संगठन ने मानी है.
गौरतलब है कि बेसहारा मवेशियों को भूख प्यास व ठंड से बचाकर एक आश्रय प्रदान करने के उद्देश्य से ही उच्चतम न्यायालय ने हर पंचायत में गो सदन निर्माण के आदेश दिए थे. जहां आस पास घूम रहे बेसहारा गोवंश को रखा जा सके.
विकास खंड भरमौर के अनुसार इस विकास खंड में बेसहारा मवेशियों की संख्या ज्यादा न होने के कारण यहां हर पंचायत के बजाए खंड स्तरीय गौ सदन निर्माण किया गया है.प्रशासन के अनुसार इसमें इस वर्ष करीब 36 मवेशियों को आश्रय मिल रहा था.
लेकिन उचित देखभाल न होने के कारण क्षेत्र के विधायक जिया लाल कपूर के प्रयासों से इन्हें कांगड़ा जिला के कंदरोड़ी नामक स्थान पर स्थित गोशाला में भेजा जा रहा था.जहां मवेशी चारे के साथ साथ बर्फीली ठंड से भी बच सकते थे.लेकिन अब संगठन ने इस गौ सदन की जिम्मेदारी फिर से संभाल ली है.इसलिए नियमानुसार क्षेेत्र में घूम रहे बेसहारा मवेशियों को शरण में लेने की जिम्मेदारी अब इसी संगठन पर होगी.
क्षेत्र में इस समय बे सहारा घूम रहे मवेशियों को गौसदन में रखने के मामले मे अनिल शर्मा ने कहा कि वे इस समय अतिरिक्त मवेशियों को अपनी शरण में लेने की स्थिति में नहीं हैं क्योंकि गौ सदन में मवेशियों व चारा रखने के अलावा देखरेख करने वाले कर्मचारी के लिए छत तक नहीं है.अगर गौ सदन के लिए इसकी व्यवस्था हो जाती है तो वे क्षेत्र के अन्य बे सहारा मवेशियों को भी इस गौ सदन में रखेंगे.