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भरमाणी मंदिर सौंदर्यीकरण पर फिर खर्च होंगे 50 लाख रुपये.

रोजाना24,चम्बा : जनजातीय क्षेत्र भरमौर उपमंडल के भरमाणी माता परिसर के सौंदर्यीकरण के लिए 50 लाख की धनराशि  व्यय की जाएगी यह जानकारी अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी भरमौर पीपी सिंह ने पुजारियों को बताया कि भरमाणी माता परिसर में एक बहुमंजिला गेस्ट हाउस बनाया जाएगा जिसमें मणिमहेश यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को ठहरने की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी.इसके साथ पार्किंग की भी व्यवस्था होगी और शौचालयों के  निर्माण के साथ  एक स्विमिंग पूल भी बनाया जाएगा इसके लिए अतिरिक्त धनराशि की व्यवस्था जनजातीय उपयोजना के तहत व लाडा से धनराशि का प्रावधान  किया गया है.उन्होंने पुजारियों को बताया कि श्री मणिमहेश की आगामी यात्रा के दौरान भरमाणी माता परिसर में लगने वाली दुकानों को नीलामी के तर्ज पर ट्रस्ट द्वारा आवंटित किया जाएगा ताकि आय के स्त्रोतों को बढ़ाया जा सकें .

 भरमाणी माता के राजस्व रिकॉर्ड के मुताबिक पुजारियों का पेनल गठित किया जाएगा , पूजा सामग्री ट्रस्ट द्वारा उपलब्ध करवाई जाएगी और मंदिर में पूजा की समय सारिणी ट्रस्ट के बाइलॉज के अनुसार निर्धारित की जाएगी.अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी  ने कहा कि चौरासी मंदिर परिसर से अधिक भरमाणी माता परिसर में आय के साधनों को सृजित करने के भरसक प्रयास किए जाएंगे.दान पात्रों की संख्या में भी वृद्धि की जाएगी और उन्हें सुरक्षित रखा जाएगा उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि भरमाणी माता क्षेत्र में स्थानीय शैली के पारंपरिक तरीके के पर्यटक हट तैयार करें ताकि पर्यटकों को ठहरने की सुविधा उपलब्ध हो और लोगों की आर्थिकी को भी बल मिल सके.

गैरतलब है कि न्यास जिस स्थान पर अस्थाई दुकानों की बोली लगाकर आय बढ़ाना चाहता है वह सब स्थानीय लोग अपनी निजि भूमि में लगाई जाती हैं.जबकि भरमाणी माता मंदिर की भूमि पर लगने वाली दुकानों से अक्सर गंदगी ही फैलती है जिससे पेयजल स्रोत भी दूषित होता है.वहीं न्यास ने यहां पहले से ही दर्जन भर दान पात्र स्थापित कर रखे हैं लेकिन इनका उपयोग मात्र मणिमहेश यात्रा के दौरान दान का धन बटोरने के लिए उपयोग किया जाता है.इस मंदिर से न्यास को केवल मणिमहेश यात्रा के दौरान ही हर वर्ष करीब पांच लाख रुपये की आमदनी होती है.जबकि मंदिर विकास के नाम पर अब तक यहां कुछ हुआ ही नहीं.

प्रशासनिक विकास की दूरदर्शिता यहां हुए बेतरतीब निर्माणों से दिख जाती है.जहां पेय जल स्रोत के पास ही स्नानागार,शौचालय,व भेड़ बकरियों के स्नानागार बना दिए गए हैं.जहां से दूषित पानी व गंदगी वहीं से पेयजल स्रोत में मिल कर लोगों के नलों तक पहुंच जाती है.स्थानीय लोगों का कहना है कि सम्बंधित ग्राम पंचायत सचूईं के प्रतिनिधियों को मंत्रणा के लिए आमंत्रित नहीं किया गया था.जबकि यह मंदिर इसी पंचायत में स्थित है और इसी पंचायत के लोगों का सहयोग इस मंदिर के श्रद्धालुओं के लिए वांछित है.प्रशासन इससे पूर्व भी लाखों रुपये इस मंदिर के सौंदर्यीकरण व विकास के नाम पर खर्च कर चुका है.लेकिन धरातल पर कितना व कैसा काम हुआ है यह जांच का विषय बन चुका है.

 बैठक में एसडीम भरमौर मनीष सोनी, तहसीलदार भरमौर ज्ञानचंद व पुजारियों के प्रतिनिधि मौजूद रहे.

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