रोजाना24,चम्बा : मणिमहेश यात्रा से इस वर्ष न्यास को करीब बारह लाख रुपये की आय हुई है.यात्रा के दौरान भरमाणी,चौरासी परिसर ,हड़सर ,धन्छो,सुनराशी,गौरी कुंड व मणिमहेश झील के पास स्थापित दान पात्रों से यह राशी प्रप्त हुई है.प्रशासनिक टीम ने यह राशी एकत्रित कर न्यास के खाते में जमा करवा दी है.गौरतलब है कि करीब बारह लाख की इस दान राशी में इकलौते भरमाणी माता मंदिर के बाहर रखे दान पात्र से करीब पांच लाख की दान राशी प्राप्त हुई है.जोकि हर वर्ष की भांति अन्य बड़े मंदिरों से प्राप्त आय से अधिक है.
इसमें मणिमहेश पूजा स्थल के पर राधाष्टमी पर्व के चौबीस घंटों की चढ़ावा राशी भी शामिल है जोकि इसके हिस्सेदारों में बांटी जाएगी.
मणिमहेश सैक्टर में आठ दान पात्रों 1.58 लाख,गौरी कुंड सैक्टर से मात्र 30.22 हजार,सुनराशी सैक्टर से केवल 13.7 हजार,धनछो सैक्टर से 47 हजार,हड़सर सेक्टर से 22.42 हजार रुपये व चौरासी मंदिर परिसर से 62 हजार रुपये की दान राशी प्राप्त हुई है.यह सभी दान पात्र मंदिरों से बाहर व लंगर समितियों के पास रखे गए थे.लंगर समितियां अक्सर न्यास रे इन दान पात्रों को छुपा देती हैं और लंगर में प्रतिमा स्थापित कर उसके समक्ष पूजा की थाली रख देती हैं.रात को लंगर में ठहरने वाले व खाना खाने वाले श्रद्धालु एहसान स्वरूप भी दान लंगर समिति को की थाली में ही रखते हैं न कि न्यास के दान पात्रों को ढूंढते हैं.वहीं मंदिरों के बाहर स्थापित बहुत से दान पात्र टूटी सूची हालत मैं हैं जिस कारण श्रद्धालुओं को यह विश्वास नहीं हो पाता कि उनका दान नेक कार्य में प्रयोग होगा या कोई चोरी कर ले जाएगा.
गौरतलब है कि यात्रा से पूर्व न्यास ने आय बढ़ाने के लिए बड़े बड़े दावे किए थे जिसमें यह भी कहा गया था कि दान पात्र मंदिरों के भीतर देव चिन्ह या प्रतिमा के समक्ष स्थापित किए जाएंगे लेकिन न्यास के यह दावे खोखले साबित हुए.न्यास हर वर्ष नये दान पात्र बनवाने व ऐसे कार्यों पर लाखों रुपये खर्च किये जा रहा है जिनके लिए न्यास के गैर सरकारी सदस्य भी खुश. हीं हैं.जिस कारण न्यास की आय में वर्ष दर वर्ष कमी दर्ज की जा रही है.
मणिमहेश न्यास अध्यक्ष एवं अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी पृथी पाल सिंह ने कहा कि न्यास की आय बढ़ाने के मुद्दे को गम्भीरता से लिया जा रहा है.न्यास मंदिरों की भीतरी बनावट के अनुरूप दान पात्र तैयार कर रहा है.ताकि दान पात्रों को मंदिर के भीतर ही स्थापित किया जा सके.दान पात्रों का आकार छोटा रखा जाएगा ताकि यात्रियों को असुविधा न हो.उन्होंने कहा कि मंदिरों में दान पात्र स्थापित करने के निर्णय को कड़ाई से अमल में लाया जाएगा.
यहां विशेष यह है कि पुजारी वर्ग हमेशा से दान पात्रों को मंदिर के भीतर स्थापित करने का विरोध करता रहा है.