रोजाना24,चम्बा : पॉलिथीन प्रतिबंधित है इसके बावजूद मणिमहेश यात्रा के दौरान इसका जमकर उपयोग हो रहा है.पॉलिथीन हटाओ,पर्यावरण बचाओ जैसे नारे लगा व रैलियां निकाल कर कई लोग जागरूकता का संदेश दे चुके हैं.लेकिन धरातल पर हर जगह पॉलिथीन का कचरा देख लगता नहीं कि पॉलिथीन कचरे को हटाने के लिए किसी ने हाथ भी लगाया हो.
छतराड़ी के युवा अविनाश शर्मा व उसके दोस्तों अंकित,अंकज व अक्षित ने दिखावे के लिए न तो कोई नारा लगाया व न ही रैली निकाली सीधे वहां फैले पॉलिथीन कचरे को एकत्रित कर उसे पॉलिथीन की बरसाती में ही समेट कर हड़सर पहुंचाया.जिसे उन्होंने वहां मौजूद प्रशासनिक टीम के सपुर्द कर दिया.
अविनाश शर्मा ने कहा कि जब वे मणिमहेश की ओर जा रहे थे रास्ते में उन्होंने प्लास्टिक कचरा फैला हुआ दिखा.जोकि प्रकृति के सौंदर्य को विकृत करता दिख रहा था जिस पर उन्होंने दोस्तों के साथ लौटते वक्त एकत्रित कर हड़सर ले जाने की योजना बनाई.लौटते वक्त वक्त उन्होंने यह कचरा तो एकत्रित तो कर लिया लेकिन उसे ले जाने के लिए न कोई थैला या बोरी थी.उन्होंने बरसाती को थैले के रूप में प्रयोग किया जिसमें पॉलिथीन कचरा भर कर हड़सर ले आए.
गौरतलब है कि रिहायशी क्षेत्रों में प्लास्टिक कचरा दिखना सामान्य बात हो गई है परन्तु रिजर्व वन,व वन्य प्राणी संरक्षित क्षेत्र में प्लास्टिक कचरा फैलना प्रशासन व लोगों की लापरवाही को दर्शाता है.
उन्होंने कहा कि हड़सर से मणिमहेश तक का मार्ग प्लास्टिक की बरसातियों,बोतलों खाद्य सामग्री के रैपर से भर गया है.यात्री वर्षा से अपने बचाव के लिए जो सस्ती प्लास्टिक की बरसातियां यात्रा पर ले गए वे उन्हें वहीं रास्ते में फेंक आए.पानी पीने के बाद खाली बोतलें भी रास्ते या नाले फेंक दी गईं.उन्होंने कहा कि इस दौरान उन्होंने कई श्रद्धालुओं को खाली बोतलें इधर उधर फेंकने के लिए टोका भी लेकिन उन्होंने वहां कूड़ादान न होने का हवाला देकर चुप करवा दिया.
अविनाश शर्मा एनएसयूआई प्रदेश उपाध्यक्ष हैं जबकि उनके साथी अंकित,अक्षित व अंकज आरजी इन्जिनियरिंग कॉलेज नगरोटा के प्रशिक्षु हैं.
युवकों के इस छोटे से काम ने दिखा दिया कि बड़े दावे करने से बेहतर है कि मणिमहेश जाने वाला हर यात्री लौटते वक्त अपने साथ प्लास्टिक कचरा हड़सर तक पहुंचा दें तो यह देवस्थल अपने प्राकृतिक स्वरूप को फिर से पा लेगा.
गौरतलब है कि प्रशासन ने लाखों रुपये खर्च कर सफाई व्यवस्था की जिम्मेदारी सुलभ इंटरनैशनल को तो सौंप रखी है लेकिन यह सुनिश्चित करना भूल गया कि जमीनी स्तर पर सफाई हो भी रही है या नहीं.यात्रा मार्ग पर मात्र रात्री पड़ाव स्थलों के अलावा कहीं भी कूड़े दान स्थापित नहीं किए गए. चूंकि यात्रा अब अंतिम पड़ाव पर है तो प्लास्टिक कचरे से यह धार्मिक व प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर स्थान कचरा युक्त हो गया है.