रोजाना24,चम्बा : चम्बा जिला के भरमौर क्षेत्र में इस समय सात दिवसीय मेला चल रहा है.जिसमें से आज छ: मेले समाप्त हो गए .अब कल अन्तिम मेला होगा जिसे स्थानीय बोली में मोट्टी जातर कहा जाता है.मोट्टी शब्द बड़ी के लिए व जातर मेले के लिए प्रयुक्त होता है.
मेलों की इस श्रृंखला में हर शाम गद्दी परम्परा अनुसार शिव को नुआला अर्पित किया जाता है जिसके बाद दशनामी अखाड़ा भरमौर से देव छड़ियों को निकाल कर परिसर में स्थापित किया जाता है जहां गद्दी समुदाय के महिला पुरुष पारंपरिक नृत्य करते हैं.पारम्परिक वेश भूषा में नृत्य करते लोगों को देखने के लिए जन सैलाब उमड़ पड़ा.
अंतिम जागरण के बाद कल 30 अगस्त को बड़ा मेला होगा.इस मेले में भरमौर, मलकौता,सचूईं,बाड़ी,पंजसेई,घरेड़,सेरी,गोसण,पट्टी,गोठड़ू आदि गावों के महिला पुरुष पारंपरिक परिधान में चौरासी मंदिर परिसर में पहुंच कर नृत्य करेंगे.
इस मेले को लेकर क्षेत्र में ‘हैरी लैल्ला मोट्टी जातरा मंझ’ बहुत प्रचलित है.अक्सर लोग छ: दिन मेले में लगी अस्थाई दुकानों में जरूरत के सामान की पड़ताल करते हैं और फिर सातवें अर्थात बड़े मेले से खरीदारी शुरु कर देते हैं.वहीं जोशीला युवा वर्ग अपनी खुन्नस निकालने के लिए भी इसी दिन को चुनते हैं और प्रतिद्वंदी को इस मरे में देख लेने की धमकी देते हैं.
वर्षों से यह वाक्य लोगों की जुबान पर है लेकिन अब मात्र ठिठोली के तौर पर प्रयोग होता है.
आज रात हुए अंतिम जागरण में सैकड़ों लोगों ने गद्दी वेशभूषा में पहुंच कर परम्परा कर निर्वहन किया.