रोजाना24,चम्बा : इंद्रूनाग ‘बढ़ेसर’ पूजायात्रा,जहां नाग पालकी को छूने भर से कमाया जाता है पुण्य
हिमाचल प्रदेश के हर गांव में देवी देवताओं को लेकर इतनी गहरी आस्था है कि इसे देव भूमि का नाम मिल गया है.इस देव भूमि के जनजातीय क्षेत्र भरमौर की ग्राम पंचायत दुर्गेठी,रुणुहकोठी,व जगत में नाग देवता की पूजा यात्रा के लिए विशेष त्रैवार्षिक आयोजन किया जाता है.तीन दिन तक चलने वाली इस पूजा यात्रा के लिए रुणुहकोठी से कुआरसी पंचायत के गजपास में स्थित इंद्रूनाग के प्राचीन स्थल से नाग चिन्ह को सामरा गांव स्थित नाग मंदिर तक लाकर उसकी विशेष बढ़ेसर पूजा की जाती है.इंद्रूनाग का यह प्राचीन स्थल सामरा गांव से करीब 35 किमी दूर कुआरसी जोत (पास) पर स्थित है.आज यह पूजा विधि विधान सहित पूरी हो गई.इस आयोजन में दुर्गेठी,जगत,रुणुहकोठी पंचायतों के अलावा अन्य पंचायतों के लोगों ने भी इंद्रूनाग से आशीर्वाद प्राप्त किया.
क्या है बढेसर पूजा.
इंद्रूनाग से सृष्टि के लिए सुख समृद्धि व स्वास्थ्य की कामना के लिए पांच बलि चढ़ाई जाती हैं.आषाढ़ माह की समाप्ति व श्रवण माह के शुरू होते ही यह पुजा की जाती है.बढेसर यात्रा में इस क्षेत्र नौ लोगों को नाग चिन्ह लाने की जिम्मेदारी दी जाती है.यह नौ लोग इंद्रूनाग के चेले,पुजारी,पौण,भाणा,नरसिंघा वादकों की एक टोली होती है.सामरा स्थित इंद्रुनाग से यह दल बलि के पांच पशु लेकर कुआरसी जोत के पास स्थित प्रचीन नाग मंदिर की ओर निकलता है.जोकि रात्री विश्राम के लिए काली माता मंदिर काला बढ़यार नामक स्थान पर ठहरते हैं.सुबह यहां से दो सदस्यों को वापिस सामरा स्थित मंदिर को भेज दिया जाता है जबकि शेष दल मंदिर के कठिन रास्ते,दर्रे को पैदल लांघते हुए नाग मंदिर पहुंचते हैं जहां इंद्रूनाग से उनका चिन्ह ले जाने की अनुमति मांगी जाती है.नाग चेले की टोपी में इंद्रुनाग का चिन्ह स्थापित कर लाया जाता है.वापिस आते हुए इनके स्वागत में लोग सामरा से करीब तीन किमी दूर बलैकरा माता मंदिर पहुंच जाते हैं जहां से नाग चिन्ह को पारम्परिक वाद्ययंत्रों के गगनभेदी ताल के साथ पालकी में बिठाकर सामरा स्थित मंदिर में लाया जाता है.नागचिन्ह की पालकी को उठाने के लोगों में होड़ मची रहती है.माना जाता है कि इस. पालकी को कांधा देने से पुन्य मिलता हैैैै.सामरा स्थित नाग मंदिर में रात भर अर्चना कर इंद्रूनाग से आशीर्वाद लिया जाता है.
इस वर्ष इस बढेसर पूजायात्रा में पुजारी राकेश कुमार,शक्ति प्रसाद,नाग चेला मदन लाल,रंणसिंघा वादक मलकीत सिंह सहित पांच अन्य लोग नाग चिन्ह लाने कुआरसी जोत गए थे.